कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी दलों ने पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव प्रचार का समय घटाने के चुनाव आयोग के फैसले पर असंतोष जताते हुए गुरुवार को कहा कि इस मामले में अदालत जाने का विकल्प खुला है तथा आयोग को भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
चुनाव आयोग के साथ बैठक के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी दलों ने पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार का समय लगभग 24 घंटे घटाने के फैसले को लेकर आयोग से मुलाकात की और इस फैसले से असहमति जताई। उन्होंने कहा कि इस संबंध में विपक्षी दलों के पास अदालत का दरवाजा खटखटाने का विकल्प खुला है।
बैठक के श्री सिंघवी के अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, जयराम रमेश, के राजू, राजीव कुमार शुक्ला तथा तेलुगू देशम पार्टी के के राम मोहन राव और सी रमेश एवं आम आदमी पार्टी के संजय सिंह शामिल थे।
श्री सिंघवी ने कहा कि चुनाव आयोग को पश्चिम बंगाल में हिंसा को लेकर जो वीडियो और रिपोर्ट भेजी गयी है उसमें भारतीय जनताा पार्टी के लोग की ओर इशारा किया गया है। इसलिए आयोग को भाजपा और इसके नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। एक दोषी की गलती पर सभी निर्दोष को सजा नहीं दी जा सकती है। आयोग ने पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार अपने निर्धारित समय 17 मई शाम पांच बजे से पहले आज रात 10 बजे समाप्त करने का फैसला किया है। इससे सभी दलों के चुनाव प्रचार के समय में कमी हो गयी है।
सिंघवी ने आयोग पर पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए कहा कि आयोग के समक्ष ईवीएम – वीवीपैट का मुद्दा एक बार फिर उठाया गया और पर्चियों का मिलान नहीं होने पर स्थिति स्पष्ट करने करने की मांग की। उन्होेंने कहा कि आंध्रप्रदेश के मुख्य सचिव और पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव ने एक जैसे मामलों की रिपोर्ट आयोग को भेजी थी लेकिन आंध्र प्रदेश में मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गयी जबकि पश्चिम बंबाल के मामले में अतिसक्रियता दिखायी गयी। कांग्रेस नेता ने कहा कि उत्तरप्रदेश में रायबरेली के पुलिस अधीक्षक का तत्काल स्थानांतरण किया जाना चाहिए क्याेंकि उनके व्यवहार से 23 मई को निष्पक्ष मतगणना होना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि जिला पुलिस अधीक्षक रायबरेली लोकसभा सीट पर भाजपा के प्रत्याशी दिनेश सिंह के भाई अवधेश सिंह के पक्ष में काम रहे हैं। कांग्रेस ने कहा कि अवधेश सिंह रायबरेली जिला पंचायत प्रमुख है और पुलिस अधीक्षक ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश नहीं करने दिया।