अब सैन्य कर्मियों की तलाकशुदा बेटियों को भी परिवारिक पेंशन की सुविधा मिलेगी. इसके लिए जरूरी होगा कि बेटियों ने सक्षम न्यायालय में माता-पिता के या दोनों में से किसी एक के जीवनकाल में या अपने पति/पत्नी के जीवित रहते ही तलाक की अर्जी दायर कर दी हो.
नौकरशाही डेस्क
सितंबर 2015 में जारी रक्षा मंत्रालय के एक पत्र के अनुसार, वर्तमान में केवल उन्ही बच्चों को परिवारिक-पेंशन का पात्र माना जाता है जो माता-पिता पर आश्रित हैं. इसके अलावा सरकारी कर्मचारी या उसकी पत्नी/पति के मृत्यु के समय अन्य शर्ते को पूरा करते हैं. इसी संदर्भ में, तलाकशुदा बेटियाँ परिवारिक-पेंशन के योग्य हैं जो अन्य शर्ते पूरा करती हों. यदि सक्षम न्यायालय ने उनके माता व पिता में से किसी एक के जीवन काल में तलाक का निर्णय दिया हो.
इस पर सरकार को शिकायतें मिली है कि तलाक प्राप्त करने की कार्यवाही एक लम्बी प्रक्रिया है. इसके पूरे होने में कई वर्ष लग जाते हैं. ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसमें सरकारी कर्मचारी/पेंशन भोगी की बेटी ने माता-पिता दोनों के या किसी एक के जीवित रहते ही तलाक की अर्जी सक्षम न्यायालय में दाखिल की थी, लेकिन तलाक के अंतिम आदेश आने तक दोनों में से कोई भी जीवित नहीं था.
मामले की जाँच की गई और रक्षा मंत्रालय के पत्र दिनांक 17 नवंबर, 2017 के माध्यम से यह निर्णय लिया गया है कि सैन्य कर्मियों की उन बेटियों को, वैसे मामलों में पारिवारिक पेंशन की सुविधा दी जानी चाहिए, जिसमें बेटियों ने सक्षम न्यायालय में माता-पिता के या दोनों में से किसी एक के जीवनकाल में या अपने पति/पत्नी के जीवित रहते ही तलाक की अर्जी दायर कर दी हो. साथ ही तलाक का अंतिम आदेश उनकी मृत्यु के पश्चात् आया हो, बशर्ते कि दावेदार पारिवारिक पेंशन पाने के अन्य सभी शर्तों को पूरा करता हो. ऐसे मामलों में पारिवारिक पेंशन, तलाक का आदेश मिलने के दिन से लागू माना जाएगा.