IPS Rakesh Kumar Debey and IPS Sudhir Kumar Porika

बालू लूट के संरक्षक इन दो IPS अफसरों को जानिये

IPS Raksesh kumar dubey and IPS Sudhir Kumar Porika

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Irshadul Haque

बालू के लुटेरे माफियाओं को संरक्षण देने के मामेल में दो IPS Rakesh Kumar Dubey, IPS Sudhir Kumar Porika) अफसरों जो भोजपुर व औरंगाबाद के एसपी हैं, पद से हटा दिया गया है. बालू लूट के खिलाफ यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है.

आर्थिक अपराध इकाई (EConomic Offence unit) की जांच के बाद इन नौकरशाहों के दामन दागदार निकले थे. इसी रिपोर्ट के आधार पर रज्य सरकार को यह कार्रवाई करनी पड़ी है.

ऐसे में नौकरशाही डॉट कॉम ने इन दो अफसरों के करियर के विभिन्न पड़ाओं को खंगालने की कोशिश की है. ताकि लोगों को पता चल सके कि इनते बड़े आरोपों में घिरने से पहले क्या इनके दामन साफ सुथरे थे या दागदार थे.

Rakesh Kumar Dubey, IPS

20वी सदी की समाप्ति के दौर ( 1994-96) के आसपास (IPS Rakesh Kumar Dubey) राकेश दुबे सीबीआई के इंस्पेक्टर हुआ करते थे. उस समय सीबीआई बिहार में काफी सक्रिय थी. राकेश दुबे ने सत्ता में अपनी पहचान बना ली थी. लेकिन उसके बाद. बीपीएससी की परीक्षा का रुख किया और राकेश डीएसपी बन गये. अपने करियर के अधिकतर वर्षों में राकेश को बिहार सरकार के सबसे उच्च शिखर यानी गवर्नर हाउस में पोस्टिंग मिली. अनेक राज्यपाल आये-गये लेकिन राकेश वहां बहैसियत एडीसी जमे रहे. सूत्र बताते हैं कि राकेश ने डीएसपी की बेसिक ट्रेंनिंग लिये बिना सत्ता शीर्ष के आसपास बने रहे. उन्होंने अपने करियर के करीब ढ़ाई दशक के दौरान ज्यादातर समय पटना में ही बने रहे. कुछ वर्ष पहले उन्हें डीएसपी से प्रोमोशन मिला और IPS बन गये.

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अभी चंद महीने पहले ही राकेश को भोजपुर का एसपी बनाया गया था. नौकरशाही के गलियारे को करीब से जानने वालों को पता है कि भोजपुर बिहार के चंद टफ जिलों में से है. जहां एक दौर में नक्सली हिंसा और कानून व्यवस्था की चुनौतियां हमेशा बनी रहीं. पिछले कुछ दशक में भोजपुर बालू माफियाओं के गढ़ के रूप में डेवलप हुआ. ऐसे में राकेश को इस जिले का एसपी बना दिया गया. लेकिन महज तीन महीने के बाद उन पर बालू माफियाओं की लूट पर कार्रवाई न करने का आरोप लगा और तब सरकार ने उन्हें उनके पद से हटा दिया है.

बताया जाता है कि इस कार्रवाई के बाद अब उनके खिलाफ प्रोसिडिंग भी हो सकती है. जांच की प्रक्रिया के बाद अगर राकेश दुबे के खिलाफ प्रमाण मिले तो उनका निलंबन तक हो सकता है. जहां तक भविष्य के करियर की बात है तो राकेश अभी 4-5 वर्षों तक सेवा में हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि अब उनके करियर की बुलिंदियां गुमनामी की ढलान की तरफ जा सकती हैं.

IPS Sudhir Kumar Porika

IPS Sudhir kumar Porika ( सुधीर कुमार पोरिका) 2010 बैच के आईपीएस अफसर हैं. नालंदा, सुपौल औरंगाबाद समेत आधा दर्जन से ज्यादा जिलों में वह बतौर एसपी काम कर चुके हैं. नालंदा में एसपी के बतौर काम करते हुए उनके खिलाफ काफी शिकायतें सत्ता शीर्ष को मिला करती थीं. नालंदा चूंकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व जदयू अध्यक्ष आरसीपी सिंह का गृह जिला है, लिहाजा माना जाता रहा है कि इस जिले में पोस्टिंग के लिए अनिवार्य रूप से इन दो नेताओं की सहमति होती है. साथ ही नालंदा में काम करने वाले एसपी पर मुख्यमंत्री की खास तौर पर नजर हुआ करती है. ऐसे में सुधीर कुमार पोरिका के नालंदा में प्रदर्शन पर सवालिया निशान लगने लगे तो उन्हें वहां से हटा कर एसटीएफ में भेजा गया.

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यह याद रहे कि STF ( Special Task Force) में काम करने वालों की योग्यता भी स्पेशल मानी जाती है लिहाजा समान पद पर काम करने वाले एसटीएफ के अफसर की सैलेरी 30 प्रतिशत अधिका होती है. एसटीएफ में रहते हुए पोरिका को बाद में कुछ दिनों के लिए भोजपुर एसपी का अतिरिक्त कार्यभार भी मिला था. फिलवक्त वह औरंगाबाद के एसपी थे. अब उन्हें भी बालू माफियाओं से सांठ-गांठ के आरोपों के चलते पद से हटा दिया गया है.

चूंकि सुधीर कुमार पोरिका भारतीय पुलिस सेवा के 2010 बैच के अफसर हैं ऐसे में अभी इनके सामने लम्बा करियर है. लेकिन अगर उनके खिलाफ प्रोसिडिंग शुरू हुई और गड़बड़िया साबित हुई तों पोरिका का करियर दगदार हो जायेगा.

By Editor


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