राजधानी में जेल के अंदर से रंगदारी का खेल चल रहा है। ताजा मामला भवन निर्माण विभाग के दो ठेकेदारों से रंगदारी मांगने का है। रंगदारी के इस मामले में बेउर जेल में बंद कुख्यात अपराधी बिंदु सिंह का नाम सामने आया है।
पटना। _बिहार में भले ही सुशासन की सरकार हो लेकिन अपसराधियों पर इसका कहीं असर नहीं दिखता। पटना में जेल में बंद अपराधी इंजीनि़यरोंं से रंगबाजी टैक्स मांगते हैं और नहीं देने पर जान गंवाने को तैयार रहने की धमकी भी देते हैं। राजधानी में जेल के अंदर से रंगदारी का खेल चल रहा है। ताजा मामला भवन निर्माण विभाग के दो ठेकेदारों से रंगदारी मांगने का है। रंगदारी के इस मामले में बेउर जेल में बंद कुख्यात अपराधी बिंदु सिंह का नाम सामने आया है। पटना के कोतवाली थाने में ठेकेदार के बयान पर बिंदु सिंह के गुर्गों के खिलाफ FIR दर्ज कर लिया गया है। अपराधियों की एक कार भी मौके से बरामद की गई है।
बुधवार को भवन निर्माण विभाग में टेंडर खुलने वाला था। ठेकेदार सत्येंद्र नारायण सिंह और अजीत कुमार टेंडर के लिए भवन निर्माण विभाग के कार्यालय में मौजूद थे। इसी दौरान तीन गाड़ियों में मौजूद करीब 20 की संख्या में अपराधी वहां पहुंचे। इनमें से दो अपराधियों की पहचान सोनू और गौतम के रूप में दी गई है। आरोप है कि सोनू और गौतम ने इन दोनों ठेकेदारों को हथियार सटा कर कहा कि हम बिंदु सिंह के आदमी हैं। तुम दोनों को हर महीने 2 लाख रंगदारी देने को कहा गया था। अगर तुमने ऐसा नहीं किया तो तुम्हारी हत्या कर दी जाएगी। आरोप है कि धमकी देने के दौरान दोनों ठेकेदारों से सोने की चेन और अंगूठी भी लूट लिए गए।
ठेकेदारों के अनुसार जब उन्होंने हल्ला मचाया तो कार्यालय में मौजूद लोग जुटने लगें। भीड़ जुटता देख अपराधी वहां से फरार हो गए। इसी दौरान उनकी एक इनोवा गाड़ी मौके पर ही छूट गई। ठेकेदारों ने इसकी सूचना कोतवाली थानाप्रभारी को दी है। पुलिस ने दोनों के बयान पर FIR दर्ज कर लिया है और अपराधियों द्वारा छोड़ी गई गाड़ी को जप्त कर लिया गया है।
बताया जा रहा है कि कुख्यात बिंदु सिंह बेउर जेल के अंदर से रंगदारी के बड़े सिंडिकेट को ऑपरेट कर रहा है। कई बार खुद पटना पुलिस ने इस मामले का खुलासा किया है। यही वजह है कि पटना रेंज के डीआईजी राजेश कुमार ने कुख्यातों की एक सूची तैयार की थी, जिन्हें दूसरे जिलों के जेलों में शिफ्ट किया जाना था।
लेकिन फिलहाल इस लिस्ट पर कोई कार्यवाही नहीं हो सकी है। ऐसे में सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर अपराधियों को दूसरे जेल शिफ्ट करने में देरी क्यों की जा रही है।