फंसी सरकार, SC ने Pegasus जासूसी में केंद्र को दिया नोटिस

लगता है मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट में फंस गई है। आज कोर्ट ने Pegasus जासूसी स्पाइवेयर मामले में केंद्र को नोटिस थमा दिया। सिर्फ दस दिनों की मोहलत दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस मामले में दायर विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई करते हुए आज केंद्र सरकार को नोटिस थमा दिया। कोर्ट ने सरकार से 10 दिनों के बीतर नोटिस का जवाब देने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट पर नजर रखनेवाले अधिवक्ताओं का मानना है कि अगर सरकार के जवाब से कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ, तो संभव है कोर्ट जांच के लिए खुद किसी कमेटी बनाने का निर्णय दे। अगर ऐसा हुआ, तो अब तक पेगासस मामले में हां या ना बोलने से बच रही केंद्र की मोदी सरकार के लिए बुरे दिन आ जाएंगे। भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, ‌जस्टिस सूर्यकांत और ‌जस्टिस अनिरुद्ध बोस के पीठ ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।

उधर, लाइव लॉ के अनुसार कोर्ट में सरकार ने कहा कि वह पेगासस स्पाइवेयर मामले में कोई अन्य हलफनामा दायर करना नहीं चाहती, क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला है। इस पर एक ट्विटर यूजर सुष्मिता मजूमदार ने सवाल उठाया। कहा-संसद में मोदी सरकार ने कहा कि वह पेगासस मामले पर चर्चा नहीं कर सकती, क्योंकि मामला कोर्ट में है और अब कोर्ट में कह रही है कि मंत्री ने संसद में अपना बयान दे दिया है। इसलिए अब किसी अन्य जांच की जरूरत नहीं है। मजुमदार ने कहा कि पिछले सात वर्षों में कोई भी कानून संसद में बहस कराए बिना और संसदीय कमेटियों में चर्चा के बिना ही पारित हो रहे हैं। थैंक्यू मोदी जी।

सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में लोग सुप्रीम कोर्ट की सराहना कर रहे हैं। पत्रकार और लेखिका स्वाति चतुर्वेदी ने ट्वीट किया-जस्टिस रमन्ना, आपने सही किया। थैंक्यू सुप्रीम कोर्ट। वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने भी सुप्रीम कोर्ट के रुख पर हर्ष जताते हुए कहा- यह खुशी की बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने पहला कदम उठा लिया है। किसी विदोशी जासूसी स्पाइवेयर से देश के प्रमुख अधिकारियों, पत्रकारों की जासूसी सरकार का देशद्रेह है।

कोर्ट ने सॉलिसिटर जेनरल से पूछा कि हलफनामा दायर करने में क्या परेशानी है, तो एस जी ने काल्पनिक तर्क दिए। लाइव वॉ लिखता है-जवाब में, एसजी ने कहा, “मान लीजिए कि मैं एक आतंकवादी संगठन हूं और मैं स्लीपर सेल के साथ बातचीत करने के लिए उपकरणों का उपयोग कर रहा हूं। अगर सरकार कहती है कि वह किसी विशेष सॉफ्टवेयर का उपयोग नहीं कर रही है, तो संगठन अपने तंत्र को बदल देगा और मॉड्यूल को रीसेट कर देगा। मान लीजिए कि सरकार कहती है कि यह उपयोग नहीं कर रही है तो आतंकवादी संगठन उन्हें पेगासस के अनुकूल नहीं बनाने के लिए अपने सिस्टम को रीसेट करेगा”।

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एसजी बात को किस तरह घुमा रहे हैं यह स्पष्ट है। पूछा जा सकता है कि देश के पत्रकार क्या आतंकवादी हैं, देश के अधिकारी और जज आतंकवादी हैं?

By Editor


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