बाढ़ से बेहाल हुआ बिहार: फोन पर सुनाई पीड़ितों ने अपनी दर्दनाक कहानी
बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति भयावह होती जा रही है. पानी और किसानी पर काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र यादव को बाढ से जूझते उनके साथियों ने रात भर फोन करके अपनी आपबीती बताई. आप भी जानिये कैसा है बाढ़ग्रस्त इलाकों का हाल.
रात में साढ़े दस बजे बौराहा से संगठन के वरिष्ठ साथी श्री इन्द्र नारायण सिंह जी का फोन आया कि बाढ़ की बहुत भयावह स्थिति है घर आँगन में पानी है। मोबाईल डिस्चार्ज था किसी तरह सोलर पैनल तक गर्दन भर पनि में जाकर स्टार्ट कर थोड़ा चार्ज किया।
कटते ही सदरुल चाचा खोखनहा से फोन आया घर में बहुत पानी है रात भर में देखिए क्या होता है कौन बचता है कौन नही।
पनगछिया
मुकेश पंचगछिया ने फोन कर बताए कि घर दरवाजे पर पानी है जब पानी बढ़ रहा है तो कोई नाव की सुविधाएं या पूर्व सूचनाए नही आती बात हो ही रही थी कि घर गिरने की आवाज औऱ लोगों के चिल्लाने व बिलखने की बात सुन फोन काट दिए।
त्रिवेणीगंज
त्रिवेणीगंज से तब तक राजेश भाई भयभीत होकर फोन किए तटबन्ध की क्या स्थिति है पूर्वी तटबन्ध पर पानी के दबाव की खबर उनके मित्र पत्रकार देते हुए सचेत रहने को बोले थे।
बात करने में झपकी आ गयी तब तक भीम सदा जो अपनी जीवनशाला के शिक्षक है हड़बड़ाए फोन किए हमलोग घर में कमर भर पानी में है बांस की मचान बनाकर बच्चों को बैठाए है। सभी घरों में पानी है माल जाल बकरी सब भसने अर्थात डूबकर बहने की स्थिति में है।
पिछली वर्ष बाढ़ से उनका टोला कट गया था फिर अंदर ही दूसरे ऊँचे खेतों में बस गए थे। कुछ ढाढस बंधवा कर बात खत्म ही की कि हरिनंदन का फोन आया बोले मेरा गाँव मंगुरार थोड़े उच्चे स्थान पर था पर घर में पानी घुस गया है. वे पटना से संगठन की मीटिंग के बाद घर लौट रहे थे मां औऱ छोटी बहन थी घबराए थे उनकी एक बहन की शादी इसी वर्ष दिघीया में हुई थी उस गाँव में भी खूब पानी की खबर से परेशानी में थे। रास्ते की स्थिति बताए कि रोड पर माल जाल के साथ बाढ़ पीड़ित दिखा शायद कमला बलान व अन्य नदी के प्रभावित थे।
भपटियाही
भपटियाही से बस से ही अभी अभी कुछ तस्वीरें भी भेजी। बलवा से विकास ने तब तक फोन किया कि मेरे घर में भी 3 फुट से ऊपर पानी है। कुनौली बार्डर के समीप कमलपुर से देवकुमार भाई कुछ तस्वीरें भी नाव से बकरी आदमी को निकालते हुए साझा की । भूखे प्यासे, नाव किस सुवीधाओ का अभाव जीवन व जान बचाने की चिन्ता है। सभी कह रहे है कि इतना पानी पहले नही आया था।
सभी लोग कोशी नव निर्माण मंच रूपी परिवार के सदस्य है जो दुख-सुख एक साथ मनाते हुए संघर्ष की पृष्ठभूमि बनाने को संकल्पित है ऐसे अनेक साथी वहाँ के लोग जीवन व मौत के बीच नदी की दहाड़ती गर्जन से जूझ रहे है। वे सब विकास के मारे है।
फोन आने का सिलसिला जारी है। पानी बढ़ ही रहा है पीड़ा के कठिन समय में निःशब्दता होती जा रही है।
सरकारी तैयारियों व हकीकत तो दिख रही है। सभी की एकजुटता से ही इस संकट से सामना किया जा सकता है।