पूर्व जज ने राष्ट्रीय ध्वज के असल अपमानकर्ता की खोली पोल
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजु (Markanday Katju) ने चूभते सवाल उठाते हु कहा कि राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने वालों से सौ गुणा ज्यादा अपमान गुजरात में 2हजार मुस्लिमों और 1984 में 5 हजार सिखों की हत्या करवाने वालों ने किया.
काटजु की यह टिप्पणी, किसान आंदोलन के समय लाल किले पर निशान साहब का झंडा लहराये जाने के संदर्भ में आयी है.
काटजु ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने वाले किसानों के बारे में हाय-तौबा मचा रहे हैं ,लेकिन क्या उन लोगों ने तिरंगे का सौ गुना अधिक अपमान नहीं किया है जिन्होंने हमारे समाज को सांप्रदायिक और जातिगत घृणा और हिंसा की आग में झोंक दिया है.
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उन्होंने कहा कि वोट पाने और चुनाव जीतने के लिए?1984 में 5000 सिखों और 2002 में 2000 गुजराती मुस्लिमों की निर्मम हत्या करवाने वालों ने राष्ट्रीय ध्वज का सौ गुना ज्यादा अपमान नहीं किया?
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काटजू ने सवाल पूछा कि हमारे ध्वज का अपमान देश को लूटने वालों ने सौ गुना ज्यादा नहीं किया? उन्होंने आगे सवाल किया कि उन लोगों ने हमारे ध्वज को सौ गुना ज्यादा अपमानित नहीं किया है जिन लोगों ने अपने कर्मो से भारतीय संविधान की धज्जियां उड़ाकर टुकड़े-टुकड़े कर दिए हैं? इस संबंध में काटजु ने indicanews.com पर ” मैं गणत्र दिवस क्यों नहीं मनाऊंगा” शीर्षक से एक लेख लिखा है.
काटजू ने अपने लेख में जजों को भी लेपटा है और कहा है कि उन जजों ने राष्ट्रीय ध्वज का सौ गुना ज्यादा अपमान नहीं किया है जिन्होंने संविधान को कायम रखने की शपथ ली है, और जनता के अधिकारों के रक्षक कहे जाने वाले स्वतंत्रता, भाषण की दमन, और कार्यकारी द्वारा अन्य मौलिक अधिकारों का हनन किया. सुप्रीम कोर्ट का ‘ अयोध्या का फैसला तर्क की एक अजीब कसौटी पर आधारित है .
उन्होंने कहा कि क्या हमारे राजनीतिक नेताओं द्वारा राष्ट्रीय ध्वज का सौ गुना अधिक अपमानित नहीं किया गया है, जिनकी नीतियों के परिणामस्वरूप भारी बेरोजगारी, बाल कुपोषण के स्तर (वैश्विक भूख सूचकांक देखें), 3.5 लाख से अधिक किसानों की आत्महत्या, और बदतरीन स्वास्थ्य सेवा और अच्छी शिक्षा की कमी से जनता में त्राहिमाम है?
काटजू ने सवाल किया है कि सोचिए कि आखिर किसने वास्तव में हमारे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया है?