जस्टिस लोया मामले की जांच भी है इस संकट की वजह

सुप्रीम कोर्ट के चार जजों द्वारा चीफ जस्टिस के खिलाफ शुरू की गयी बगावत की ज्वाला फैलती ही जा रही है. अब हाईकोर्ट के तीन पूर्व जज व सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व जज भी  उनके समर्थन में उतर आये हैं. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन पहले ही इन जजों के पक्ष में आ चुका है.

जस्टिस लोया मामले की जांच भी है इस संकट की वजह
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्टतम जजों जस्टिस कुलकर, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस जेलमेश्वर और जस्टिस रंजन गोगोई ने प्रेस कांफ्रेंस करके इसी मुद्दे को उठाया था. इन जजों ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में आने वाले मामलों को रोस्टर प्रणाली से किसी जज को सुपुर्द किया जाता है जबकि कुछ दिनों से इस प्रणाली का पालन करने के बजाये मनमानी की जा रही है जिससे लोकतंत्र को खतरा है. इन जजों ने कहा था कि देश की संस्थानों को नहीं बचाया गया तो देश का लोकतंत्र खतरे में पड़ जायेगा.
 
इस बीच इस मामले में उन चार जजों के पक्ष कई अन्य जज भी खड़े हो गये हैं. इन में हाईकोर्ट के तीन पूर्व जज और सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व जज जिनमें  सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज पीबी सावंत, मद्रसा हाई कोर्ट के पूर्व जज एपी शाह, इसी कोर्ट के पूर्व जज  कें च्रंदू और बंबे हाईकोर्ट के पूव जज एच सुरेश ने एक खुला पत्र चीफ जस्टिस को लिए डाला है. इसमें उन जजों ने साफ कहा है कि  संकट के हल होने तक न्यायालय में आने वाले मामले को पांच जजों की पीठ को सौंपा जाये. इस पत्र में कहा गया है कि मामलों का आवंटन रोस्टर के पैमाने पर किया जाना चाहिए.
 
 जस्टिस लोया का मामाल
याद रहे कि शोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले में अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष का नाम था. उस ममले की सुनवाई जस्टिस लोया कर रहे थे. लोया की मृत्यु रहस्यमय तरीके सो हो गयी थी. लोया के परिवार ने पिछले दिनों कैरवां मैग्जीन को बताया था कि उन्हें आशंका है कि लोया की हत्या की गयी थी.
 
बार एसोसियशन के अध्यक्ष ने दिल्ली में पत्रकारों को बताया था कि सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिकाओं की सुनवाई अगर चीफ जस्टिस खुद नहीं कर पा रहे हैं तो उन मामलों को कोलेजियम के चार वरिष्ठ जजों के पास भेजा जाना चाहिए. इन मामलों में जस्टिस लोया की मौत का मामला भी शामिल है.

By Editor


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