भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान एफटीआईआई के प्रमुख के पद पर अभिनेता अनुपम खेर के बाद एक बार फिर विवाद गहराता नज़र आ रहा है. एफटीआईआई छात्र संघ एफएसए ने उनकी नियुुक्ति पर सवाल उठाते हुए कहा है कि एक निजी उपक्रम का नेतृत्व करने वाले व्यक्ति को कैसे किसी सरकारी संस्थान का नेतृत्व करने के लिए कहा जा सकता है.

नौकरशाही डेस्क

एफएसए के अध्यक्ष रॉबिन जॉय ने कहा कि वे मुंबई में अपना खुद का अभिनय प्रशिक्षण संस्थान -एक्टर प्रीपेयर्स- चलाते हैं और अब उन्हें एक सरकारी संस्थान का नेतृत्व करने का जिम्मा सौंपा गया है जिससे यकीनन हितों का टकराव होता है. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि जहां तक खेर की योग्यता एवं साख की बात है, उन्हें कोई दिक्कत नहीं है.

साथ ही संघ की ओर से देश में असहिष्णुता को लेकर बहस के दौरान खेर द्वारा दिए गए बयानों तथा सरकार के कुछ विचारों का प्रचार करने की उनकी कोशिशों पर भी आपत्ति जतायी.

क्या वे खेर की नियुक्ति का उसी तरह से विरोध करेंगे जिस तरह से उनके पूर्ववर्तियों ने 2015 में गजेंद्र चौहान की नियुक्ति को लेकर किया था, जॉय ने कहा कि वह इस समय कुछ नहीं कह सकते, आगे की कार्वाई पर फैसला एफएसए की आम सभा की बैठक में किया जाएगा. बता दें कि गजेंद्र चौहान की नियुक्ति पर भी छात्रों ने संस्थान में जबरदस्त विरोध दर्ज किया था, जो बाद में राष्ट्रीय विवाद के रूप में उभर कर सामने आया था.

उल्लेखनीय है कि वरिष्ठ फिल्म अभिनेता अनुपम खेर को फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान, पुणे का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. वे गजेन्द्र चौहान का स्थान ग्रहण करेंगे. खेर ने 500 से अधिक फिल्मों में काम किया है और सिनेमा तथा कला क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें 2004 में पद्मश्री और 2016 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है.

इसके अलावा वरिष्ठ कलाकार ने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं. उन्हें सर्वश्रेष्ठ हास्य भूमिका के लिए पांच बार फिल्म फेयर पुरस्कार मिल चुका है. उन्होंने लोकप्रिय अंतर्राष्ट्रीय फिल्मों में भी काम किया है, जिनमें ‘बेंड इट लाईक बेकहम’ को 2002 में गोल्डन ग्लोब पुरस्कार के लिए नामित किया गया. साल 2007 में गोल्डन लायन पुरस्कार प्राप्त ‘लस्ट, कॉशन’ और 2013 में ऑस्कर विजेता ‘सिल्वर लाइनिंग्स प्लेबुक’ शामिल हैं. उन्होंने 100 से अधिक नाटकों में काम किया है और ‘दी बेस्ट थिंग अबाउट यू इज यू’ नामक पुस्तक भी लिखी है.

इसके पूर्व उन्होंने सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में तथा 2001 से 2004 तक राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के निदेशक के रूप में भी काम किया है. उन्होंने (1978 बैच) राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में शिक्षा प्राप्त की थी.

 

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427