हाल में भाजपा नेताओं-कार्यकर्ताओं ने लोक गायिका देवी को महात्मा गांधी के प्रिय भजन रघुपति राघव राजा राम गाने से रोका और माफी मांगने पर मजबूर किया। इस घटना के खिलाफ बिहार के 88 साहित्यकारों, रंगकर्मियों ने कड़ा प्रतिवाद किया है।
अपने बयान में लेखकों, कलाकारों ने कहा कि हम लेखक, रंगकर्मी और कलाकर “रघुपति राघव राजा राम, सबको सन्मति दे भगवान “… जैसा पवित्र गीत गाए जाने पर उपद्रवी, उन्मादी और सांप्रदायिक तत्वों द्वारा हंगामा कर, लोक गायिका को माफी मांगने पर मजबूर करने को लेकर स्तब्ध हैं। पटना में घटी इस अभूतपूर्व और निंदनीय घटना ने राज्य में कला, संस्कृति से जुड़े लोगों को सकते में डाल कर दिया है।
लोकप्रिय लोक गायिका देवी पर दबाव और धमकी देकर माफी मांगने के लिए मजबूर करने की जितनी भी निंदा की जाए कम है। वहां मौजूद लोगों का बहुमत कुछ असामाजिक तत्वों के आगे चुप रहा है यह भी बहुत विचलित करने वाली बात है। समाज कैसे कुछ हिंसक तत्वों के आगे बेबस होता जा रहा है उसकी यह निशानी है।
गायिका देवी द्वारा महात्मा गांधी द्वारा लोकप्रिय बनाए गए भजन को गाने को लेकर भाजपा- आर. एस. एस के अतिवादी तत्वों ने गीत के ‘अल्लाह’ शब्द को लेकर जिस हिंसक ढंग से एतराज किया गया वह हमें बताता है कि किस प्रकार एक धर्म विशेष को लेकर जहरीला प्रचार समाज के अंदरूनी परतों तक में प्रवेश कर गया है।
चंद लोगों द्वारा की गई यह शर्मनाक हरकत रंगकर्मियों और कलाकारों की सृजनात्मक स्वतंत्रता का हनन है। पिछले कुछ वर्षों से लगातार अभिव्यक्ति की इस स्वतंत्रता पर हमले हो रहे हैं। हमला करने वाले तत्वों को सत्ता का संरक्षण भी मिलता रहा है। सबसे दुखद बात यह है कि यह सारा घटनाक्रम भाजपा नेताओं- सांसद रविशंकर प्रसाद, संजय पासवान, सीपी ठाकुर – की मौजूदगी में हुआ। असामाजिक तत्वों के आगे इन जनप्रतिनिधियों ने भी शर्मनाक चुप्पी साध ली।
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हम सभी लेखक, रंगकर्मी और कलाकार बिहार सरकार से मांग करते हैं कि गायिका के साथ बदसलूकी करने वाले तत्वों को चिन्हित कर अविलंब कारवाई की जाए। ताकि आगे से कोई ऐसी हरकत करने की हिमाकत न कर सके।
बयान पर हस्ताक्षर करने वाले लेखकों-कलाकारों में आलोकधन्वा, मोना झा, तनवीर अख्तर, कुणाल, संतोष दीक्षित, सुधीर सुमन, अनिल अंशुमन, जावेद अख्तर, रणधीर कुमार, राजेश कमल, अंचित, गुंजन उपाध्याय पाठक, शिरीष पाठक, जितेंद्र कुमार, सुरेश कांटक, डॉ. विंध्येश्वरी सहित अन्य शामिल हैं।
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