जांच टीम के सदस्यों ने यह महसूस किया कि पुलिस ने सुरक्षा के नाम पर पीडि़ता को उसके ही घर में नजरबंद का माहौल बना रखा है।
पटना : जहानाबाद शहर में एक दलित लड़की के साथ हुई बहुचर्चित ‘छेडख़ानी’ की घटना वास्तव में छेडख़ानी नहीं है, बल्कि सामूहिक बलात्कार की घटना है। पुलिस इस मामले की लीपापोती कर अपराधियों को बचाने के लिए जानबूझ कर छेडख़ानी की घटना बता रही है।
इस मामले की जांच के लिए गयी टीम की सदस्या कंजन बाला ने इस जघन्य अपराध की आईजी स्तर की महिला अधिकारी से जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सामूहिक बलात्कार की घटना को छेडख़ानी बताकर पुलिस मामले को रफा-दफा कर रही है।
उनका कहना है कि पीडि़त लड़की ने टीम की महिला सदस्यों को साफ तौर पर बताया है कि उसके साथ सभी अपराधियों ने बारी-बारी से बलात्कार किया है। पीडि़ता ने यह भी कहा है कि जिन लोगों ने मेरी इज्जत लूटी है उन्हें फांसी की सजा होनी चाहिए। यह पूछे जाने पर कि उसने माननीय न्यायालय के समक्ष 164 के तहत दिये गये अपने बयान में बलात्कार के बारे में बतायी है, तो उसने कहा है कि मैंने सारी सच्चाई मजिस्टेट को बतायी है।
प्रेस कांफ्रेंस में जारी की गयी रिपोर्ट
उल्लेखनीय है कि पटना से महिलाओं के अध्किार के मुद्दे पर लगातार काम करनेवाले नागरिकों की एक टीम 5 मई को जहानाबाद उस पीडि़त लड़की से मिलने गयी थी। टीम में कंचनबाला, सुध वर्गीज, रजनी, अध्विक्ता अशोक कुमार, मणिलाल तथा जहानाबाद की महिला कार्यकर्ता मीरा यादव एवं मिथलेश यादव शामिल थे।
पीडिता ने जांच टीम की महिला सदस्यों से बात करते हुए कहा कि वो 25 अप्रैल की सुबह 9 बजे के करीब बाजार गयी थी। बाजार में ही उसे अरविन्द मिला। उसने पीडिता को कहा कि चलो तुमको मोटर साईकिल से घर छोड देते हैं। उस पर विश्वास कर पीडिता मोटर साईकिल पर बैठ गयी। उसके बाद तेजी से जबरन मुझे घर न ले जाकर मोटर साईकिल से दूसरी ओर भरथुआ नहर की ओर लेकर चला गया। वहां सबसे पहले अरविन्द ने मेरे साथ बलात्कार किया। थोड़ी देर में कुछ और लड़के वहां आ गये, सभी लडकों ने मेरे साथ पहले छेडख़ानी फिर एक एक कर बलात्कार किया। यहां तक कि मेरे कपड़े तक उनलोगों ने अपने पास रख लिया। बाद में अरविन्द ने एक दूसरा कपड़ा लाकर मुझे पहनने को दिया। पीडि़ता ने कहा कि घटना के बाद उन लोगों ने बंदूक दिखाकर धमकी दी कि तुमने अगर किसी को बताया तो तुम्हें और तुम्हारे परिवार को गोली से छलनी कर देंगे। करीब एक बजे मुझे जबरन मोटर साईकिल पर बैठाकर कुछ दूर ले जाकर छोड़ दिया। पीडिता ने कहा कि मैं इतनी डर गयी थी कि घर आकर भी किसी को कुछ नहीं बतायी।
पीडि़ता ने कहा कि घटना के तीन दिन बाद मामला उस समय उजागर हुआ जब बलात्कार में शामिल एक लड़का ने घटना से संबंधित विडियो वायरल कर दिया। तब जाकर पुलिस सक्रिय हुई।
जांच टीम की सदस्या सुधा वर्गीज ने सवाल उठाया है कि छेडख़ानी चार घंटों तक नहीं हो सकती है। दूसरी बात लड़की के कपड़े कहां है अब तक उसे बरामद क्यों नहीं किया गया है। क्या उसे फोरेंसिक जांच के लिए नहीं भेजा जाना चाहिए था।