गांव-गांव की धूल फांक रहे पीके, मीडिया में खबर नहीं

कोई चुनाव नहीं, महारैली भी नहीं, फिर भी जन सुराज के नेता प्रशांत किशोर गांव-गांव में लोगों से मिल रहे हैं। पांच जिले का दौरा कर चुके, मीडिया में खबर नहीं।

गोपालगंज में प्रशांत किशोर स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय सियाबिहारी शरण जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद उनके परिवार के लोगों से मिलते।

कुमार अनिल

लंबे अरसे बाद बिहार का कोई नेता बिहार के गांव-गांव घूम रहा है। लोगों से गांव-जवार की समस्या से लेकर बिहार और देश की समस्या पर बात कर रहा है। ये नेता हैं जन सुराज के प्रशांत किशोर। वे पिछले एक हफ्ते में वैशाली, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज, सीवान का दौरा कर चुके हैं। आज वे छपरा में हैं। छपरा में उनके मंच पर बैनर लगा है, जिसमें लिखा है-सही लोग, सही सोच, सामूहिक प्रयास। यहां उन्होंने कहा कि हर जिले में ऐसे लोग हैं, जो बदलाव चाहते हैं। पहले 18 हजार लोग थे, जो बात करना चाहते थे, अब यह संख्या 75 हजार से ज्यादा हो गई हैं। उनकी कोशिश है कि उन सभी लोगों से संवाद स्थापित हो।

प्रशांत किशोर अपने दौरे में स्वतंत्रता सेनानी परिवार, पंचायत प्रतिनिधियों और समाज के लिए सोचने, कुछ करनेवाले सभी लोगों से संपर्क कर रहे हैं। उनकी बात सुन रहे हैं और सवालों का जवाब भी दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि लोग कहते हैं कि बिहार को बदलना बड़ा कठिन है, तो उनका जवाब है कि कठिन काम ही तो हमें करना है। कई जगह लोगों ने सवाल किया कि चुनाव का खर्च कहां से आएगा, तो प्रशांत किशोर ने कहा कि इतना तो आप भी जानते हैं कि भले मैंने खुद चुनाव नहीं लड़ा, पर चुनाव जीताना जानता हूं। उनके जवाब पर उपस्थित लोगों ने तालियां बजाकर समर्थन किया। उन्होंने कहा कि 2 अक्टूबर से पदयात्रा शुरू करूंगा और जब तक पूरा बिहार घूम नहीं लेता, घर नहीं लौटूंगा। चाहे इसमें सवा साल लगे या डेढ़ साल।

बिहार के गांव-गांव में प्रशांत किशोर घूम रहे हैं, लेकिन पटना का मीडिया न एक लाइन छाप रहा है और न दिखा रहा है। इसकी वजह सभी जानते हैं। अनेक पुरानी कहानियां है कि पृथ्वी पर जब भी कोई कठिन तपस्या करता है, तो इंद्र का शासन डोलने लगता है…। तो भला राजा को नाराज करके कौन मुसीबत मोले।

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