पूर्व रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडिस का निधन 29 जनवरी को हो गया. यहां पढ़िये सिस्टम से बगावत करने वाले और समाज को अपने सांचे में ढालने की कुअत रखने वाले इस बागी लीडर के जीवन का संक्षिप्त परिचय.
पूर्व रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडिस का निधन 29 जनवरी को हो गया. सिस्टम से बगावत करने वाले और समाज को अपने सांचे में ढालने की कुअत रखने वाले इस बागी लीडर के जीवन का संक्षिप्त परिचय.
Irshadul Haque
जार्ज फर्नांडिस का जन्म एक ईसाई परिवार में 3 जून 1930 को हुआ था. मैंगलोर में हुआ था. उनके पेरेंट्स उन्हें एक पादरी के रूप में देखना चाहते थे. लेकिन वह मुम्बई पहुंच कर सोशलिस्ट आंदोलन का हिस्सा बन गये.
तब अंसभव हो गया था जदयू के बिखराव को टालना
राम मनोहर लोहिया के करीब रह कर उन्होंने सोशलिस्ट आंदोलन में भाग लिया और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर 1967 में कांग्रेस के मशहूर नेता एसके पाटिल को हरा कर लोकसभा पहुंचे.
1974 में जार्ज ने मुम्बई में रेलवे का चक्का जाम करके पूरे देश में चर्चा का केंद्र बन गये. तब कांग्रेस की सरकार हिल गयी. वह आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के अध्यक्ष थे.
इमर्जेंसी के दौरान जार्ज ने भूमिगत आंदोलन चलाया.
जून 1976 में बड़ोदा डॉइनामाइट केस में जेल गये. बड़ोदा डाइनामाइट केस दर असल उस चर्चित केस को कहा जाता है जिसके तहत तत्कालीन इंदिरा सरकार ने जार्ज समेत 24 लोगों पर आरोप लगाया था कि उन्होंने रेलवे सम्पत्तियों को उड़ाने के लिए डाइनामाइट की स्माग्लिंग की थी. इस मामले में उन पर राज्य के खिलाफ युद्ध का आरोपी बनाया गया था.
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जेल में रहते हुए 1977 में चुनाव लड़े और जीत गये. तब जनता पार्टी की सरकार बनी. जार्ज तब संचार मंत्री बनाये गये और उसके बाद उन्हें उद्योग मंत्री बनाया गया.
1989 में कांग्रेस के खिलाफ जब वीपी सिंह ने बगावत करके आंदोलन शुरू किया तो जार्ज उनके साथ हो गये. उसी दौरान जनता दल का गठन किया गया.
1989 के चुनाव में वीपी सिंह की सरकार बनी तो वह रेल मंत्री बनाये गये. लेकिन इसके बाद समाजवादी जार्ज फर्नांडिस का सत्ता मोह बढ़ा तब उन्होंने सेक्युलरीज्म और समाजवाद से अपनी राह थोड़ी अलग कर ली. इस तरह 1998 में जब भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार बनी तो जार्ज फर्नांडिस उनके मंत्रि मंडल में रक्षा मंत्री बने. तब भाजपा के साथ हाथ मिलाना बहुत बड़ी बात मानी गयी. खास कर जार्ज जैसे समजावदी पृष्ठभूमिक के नेता के लिए जिनका पूरा जीवन मजदूरों और कामगारों के लिए समर्पित था. हालांकि वाजपेयी मंत्रिमंडल में रहते हुए जार्ज का समाजवादी रुझान कभी कम नहीं हुआ.
भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्णियम स्वामी ने जार्ज की मृत्यु पर कहा कि एक समाजवादी नेता होने के कारण, शुरू में उनसे हमारी वैचारिक मतभिन्नता रही. लेकिन उनके अंतिम दिनों में हम दोनों अच्छे दोस्त हो गये. हम दोनों नेहरू के परिवारवादी राजनीति के सम्मिलित विरोधी थे.
उद्योग मंत्री रहते हुए जार्ज ने दो अमेरिकी कम्पनियों- कोका कोला और आईबीएम को भारत छोड़ने का हुक्म दिया था. इन कम्पनियों पर आरोप लगे थे कि इन्होंने भारतीय नियमों का उल्लंघन किया था