New Delhi, Aug 23 (ANI): Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal during an interaction with traders in New Delhi on Sunday. (ANI Photo)

गिरफ्तारी के डर से विपक्षी एकता में पलीता लगा रहे केजरीवाल!

गिरफ्तारी के डर से विपक्षी एकता में पलीता लगा रहे केजरीवाल! 23 जून को विपक्षी दलों की बैठक से ठीक पहले केजरीवाल ने सभी दलों को लिखा पत्र। फंसा दिया पेंच।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर 23 जून को पटना में विपक्षी दलों की बैठक की सारी तैयारी हो चुकी है। बैठक में शामिल होने के लिए शीर्ष नेताओं ने अपनी सहमति दे दी है। अब बैठक से दो दिन पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को सभी विपक्षी नेताओं को एक पत्र लिखा है। पत्र में एक शर्त लगा दी है। पत्र में कहा गया है कि विपक्षी दलों की बैठक में सबसे पहले केंद्र सरकार के अध्यादेश पर चर्चा होनी चाहिए।

याद रहे 23 जून की बैठक 2024 में लोकसभा चुनाव में भाजपा को शिकस्त देने के लिए सहमति बनाने को लेकर बुलाई गई है। 2024 में विपक्ष की एकता कैसे बने, मुद्दे क्या हों इस पर चर्चा होनी है। अब केजरीवाल के इस शर्त से पूरी बैठक का मजाक बन जाने का खतरा पैदा हो गया है। दिल्ली में केजरीवाल सरकार के अधिकार को कम करने वाले अध्यादेश पर अभी तक कांग्रेस ने अपना पक्ष स्पष्ट नहीं किया है। केजरीवाल ने अपने पत्र में सभी दलों से पहले उस अध्यादेश पर अपना स्टैंड साफ करने को कहा है। इस प्रकार केजरीवाल ने बैठक का एजेंडा ही बदलने की कोशिश की है।

केजरीवाल के इस पत्र से विपक्षी बैठक के सार्थक होने पर प्रश्न चिह्न लग गया है। तो क्या वे जेल जाने से बचने के लिए विपक्षी एकता में पलीता लगा रहे हैं।

इस मामले में यह भी कहा जा सकता है कि केजरीवाल विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस पर दबाव बनाना चाहते हैं कि पहले वह स्टैंड साफ करे। अगर कांग्रेस साफ नहीं बोलती है, तो केजरीवाल यह प्रचारित करेंगे कि कांग्रेस विपक्षी एकता नहीं चाहती है। यह भी कहा जा सकता है कि केजरीवाल भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ इतना आगे जा चुके हैं कि वे अब भाजपा के साथ किसी गुप्त या खुले समझौते में नहीं जा सकते। वे विपक्षी एकता में पलीता नहीं लगा रहे हैं, बल्कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार के अधिकार के लिए लड़ रहे हैं।

अरविंद केजरीवाल ने जो शर्त लगा दी है, वह कांग्रेस को ही मुश्किल में डालने वाली नहीं है, बल्कि खुद नीतीश कुमार के लिए भी परीक्षा की तरह है। अब देखना होगा कि नीतीश कुमार किस प्रकार केजरीवाल और कांग्रेस दोनों को किसी खास बिंदु पर सहमत कराते हैं और विपक्षी एकता के प्रयास को अगले चरण में ले जाते हैं।

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By Editor


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