केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भारत रत्न देने की मांग की है। इसी के साथ सवाल खड़ा होता है कि क्या नीतीश कुमार का रिटायरमेंट प्लान तैयार हो गया है? क्या 2025 के बाद भाजपा का मुख्यमंत्री बनाने की भूमिका तैयार की जा रही है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्यों कि भारत रत्न जैसा सम्मान तो आमतौर से किसी के रिटायरमेंट के बाद ही दिया जाता है। कई को मरणोपरांत दिया गया है। कार्य करते हुए किसी को भी यह सम्मान शायद ही दिया गया है।
गिरिराज सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के करीबी हैं। इसलिए जब उन्होंने यह मांग की है, तो यूं ही नहीं की होगी। जरूर इसके पीछे कोई मकसद होगा और जरूर ही उन्हें इस मांग को उठाने के लिए कहा गया है, वर्ना वे प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से ऐसी मांग क्यों करते।
गिरिराज सिंह की मांग को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के रिटायरमेंट प्लान का हिस्सा भी माना जा रहा है। पहले भी ऐसी चर्चा हो चुकी है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य का नेतृत्व भाजपा को सौंप कर खुद कहीं के राज्यपाल या राष्ट्रपति बनना चाहेंगे। तो क्या वह समय आ गया है। उन्हें राष्ट्रपति न बनाया जाए तो कम से कम भारत रत्न की उपाधि ही दी जाए।
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ऐसे सवाल राजनीतिक गलियारों में इसलिए भी उठ रहे हैं कि क्यों कि अब भारत रत्न तात्कालिक राजनीतिक फायदे के लिए भी दिया जा रहा है। यही नहीं भारत रत्न देने में अब पहले जैसी कंजूसी नहीं रही। धड़ल्ले से दिए जा रहे हैं। पिछला उदाहरण यूपी में दिखा था, जब चरण सिंह को भारत रत्न देने के बाद जयंत चौधरी ने इंडिया गठबंधन से पाला बदल लिया था और वे एनडीए का हिस्सा बन गए थे। तो क्या वही प्रयोग बिहार में दुहराने की कवायद चल रही है।