गोलवरकर ने कहा, दलितों को मारो जूते : लालू का भाषण जिसे मीडिया छुपाया
बड़े-बड़े अखबारों व टीवी चैनलों ने दो दिन पहले लालू के दिए भाषण का एक अंश पूरी तरह गायब कर दिया। जानिए किस बात को और क्यों मीडिया ने गायब किया।
2015 विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद ने अपनी चुनावी सभाओं में RSS की किताब बंच ऑफ थॉट का हवाला दे कर भाजपा को पानी पिला दिया था। एक बार फिर लालू ने वही मंत्र दुहराया। लेकिन बड़े-बड़े अखबारों तथा टीवी चैनलों ने लालू प्रसाद की इस महत्वपूर्ण बात को पूरी तरह गायब कर दिया।
पूर्णिया में 25 फरवरी को आयोजित महागठबंधन की महारैली को लालू ने दिल्ली से ही ऑनलाइन संबोधित किया। उन्होंने आरएसएस के गोलवरकर की किताब बंच ऑफ थॉट के बारे में कहा कि इसमें दो खतरनाक बातें कही गई हैं। पहला यह कि अगर कोई दलित काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश करे, तो उसे जूते से मारो तथा दूसरी बात लिखी है कि दलितों-पिछड़ों का आरक्षण खत्म करो। लालू प्रसाद ने ये दोनों बातें काफी जोर देकर और गरजते हुए कही थीं, लेकिन फिर भी मीडिया ने गायब कर दिया।
ज़रा सुन लीजिए pic.twitter.com/9nrH50vBRR
— Irshadul Haque (@IrshadulHaque9) February 27, 2023
आज के बड़े अखबारों और टीवी चैनलों का हाल किसी से छिपा नहीं है। वे एक लाइन भी ऐसा नहीं छापना चाहते या दिखाना चाहते, जिससे भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नुकसान हो। लालू ने तो सीधे आरएसएस पर हमला बोला था, तो जाहिर है मीडिया ने गायब कर दिया।
लालू प्रसाद ने संघ की जिन दो बातों को खतरनाक कहा, वह पूरी तरह सोच-समझ कर कहा। भाजपा हिंदुत्व के नारे के नाम पर दलितों को एकजुट करना चाहती है, इसीलिए लालू प्रसाद ने हिंदुत्व की हवा निकालते हुए बंच ऑफ थॉट का हवाला दिया, ताकि दलित किसी भ्रम के शिकार न हों।
मीडिया को मालूम है कि 2015 की तरह अगर फिर से लालू प्रसाद ने बंच ऑफ थॉट की लिखी बातों को मुद्दा बना दिया, तो भाजपा के लिए 2024 लोकसभा चुनाव की राह कठिन हो जाएगी। लालू प्रसाद का वह पूरा भाषण जरूर सबको सुनना चाहिए। उसमें 2024 में विपक्ष की रणनीति खासकर बिहार और हिंदी पट्टी के संदर्भ में अच्छी तरह समझा जा सकता है। विपक्ष की रणनीति दो तरफा है। एक तरफ वह देश की प्रमुख संस्थाओं को बेचने, निजीकरण करके नौकरी खत्म करने, महंगाई, बेरोजगारी का सवाल उठाएगा, तो दूसरी तरफ आरएसएस की दलित-पिछड़ा विरोधी बातों को भी उठाकर भाजपा को घेरेगा।
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