गूगल ने बिहार के महान सपूत को डूडल के जरिये याद करके बिहारियों और उर्दू साहित्य को गर्वान्वित किया है. गूगल ने एक नवम्बर को अपना डूडल अब्दुल कवी देसनावी को समर्ति किया है.
उमर अशरफ, नौकरशाही डॉट कॉम के लिए
जैसा की आप जानते ही होंगे की गूगल कुछ खास मौक़ो पर ही अपना डूडल जारी करता है। आज 1 नवम्बर 2017 को गूगल ने अपना का डूडल अब्दुल क़वी देसनवी को समर्पित किया है, आख़िर क्यों ? क्या है इनके बारे में ख़ास जो गूगल ने इन्हे याद किया है।
कौन थे देसनावी
अब्दुल क़वी देसनवी को उनकी उर्दू में लिखी गयी साहित्यिक पुस्तकों के लिए जाना जाता है। अब्दुल क़वी देसनवी का जन्म बिहार के नालंदा ज़िले के देसना गांव में 1 नवम्बर 1930 को हुवा था। वालिद साहब का नाम सैयद मुहम्मद सईद रज़ा था, शुरुआती तालीम आरा से करने के बाद ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन St Xavier College Mumbai से से किया। फ़रवरी 1961 मे भोपाल के सैफ़िया कॉलेज से जुड़े और जल्द ही उर्दू भाषा के प्रोफ़ेसर हो गए साथ ही वहां के उर्दू डिपार्टमेनट के हेड बनाये गये। 1977-78 के दौर मे कुल हिन्द अंजुमन तरक़्की ए उर्दु के मेम्बर भी रहे।
1979 से 1984 तक मजलिस ए आम अंजुमन तरक़्की ए उर्दु (हिन्द) के चुने हुए मेम्बर रहे। 1978 से 1979 के दौरान ऑल इंडिया रेडियो भोपाल के प्रोग्राम एडवाईज़री कमिटी के मेम्बर भी रहे। 1977 से 1985 के बीच चार साल बरकतुललाह यूनिवर्सिटी के बोर्ड ऑफ़ स्टाडीज़ उर्दु, पर्शयन एैंड अरेबिक के चेयरमैन रहे। 1980 से 1982 तक बरकतुललाह यूनिवर्सिटी के आर्ट फ़ैकल्टी के डीन रहे और साथ ही बरकतुललाह यूनिवर्सिटी के इसक्युटिव कांसिल के मेम्बर भी (1980–1982) के दौरान रहे इसके बाद 1983 से 1985 तक सैफ़िया कॉलेज भोपाल के प्रिंसपल रहे।
अब्दुल क़वी देसनवी 1990 में अपने पद से रिटायर हुए। साथ ही 1991- 92 मे मध्यप्रदेश उर्दू बोर्ड के सेक्रेटरी रहे। अब्दुल क़वी देसनवी ने अल्लामा इक़बाल , मौलाना आज़ाद और मिर्ज़ा ग़ालिब की ज़िन्दगी पर कई किताबें लिखीं। इक़बाल भोपाल मे, भोपाल और ग़ालिब, सात तहरीरे, इक़बाल उन्नीसवी सदी मे, इक़बाल और दिल्ली, मुतालाए ग़ुब्बारे ख़ातिर, अबुल कलाम आज़ाद और भी दर्जन भर किताबे हैं। जिनकी तादाद पचास से अधिक है।
पचास से अधिक पुस्तकों की की रचना
अपने पचास साल के केरियर मे अब्दुल क़वी देसनवी ने उर्दु की बहुत ख़िदमत की। अब्दुल कवी देसनवी के शागिर्द मे जावेद अख़्तर (बॉलवुड वाले), कवी मुश्ताक़ सिंह, इक़बाल मसुद प्रो मुज़फ़्फ़र हनफ़ी, सेलानी सिलवटे, प्रो ख़ालिद महमूद सहीत सैकड़ो नामी हस्ती रहे हैं। कैफ़ी आज़मी अब्दुल कवी देसनवी के साथियों मे से थे। बहुत सारे अवार्ड भी अपने झोली मे रखने वाले अब्दुल क़वी देसनवी साहब नवाब सिद्दीक़ी हसन खॉ अवार्ड भोपाल, बिहार उर्दू एकेडमी अवार्ड, आल इंडिया परवेज़ शहीदी अवार्ड वेस्ट बंगाल से नवाज़े गए हैं। 7 जुलाई 2011 को भोपाल में उर्दु के इस अज़ीम सिपाहसालार ने दुनिया को अलविदा कहा।