सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी अपराध में शामिल होने के आरोप से ही किसी का घर नहीं गिराया जा सकता। किसी के घर को गिराने से पहले एक प्रक्रिया होनी चाहिए। इसके लिए गाइडलाइन बनाएंगे। कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन के लिए गाइडलाइन देने की याचिका पर सुनाई करते हुए ये बातें कहीं। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी. आर. गवई तथा जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि गाइडलाइन बनाई जाएगी। कोर्ट ने कहा कि हम सेकुलर कंट्री हैं। किसी का घर यूं ही नहीं उजाड़ा जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी अपराध में शामिल होने के आरोप भर से किसी का घर नहीं गिराया जा सकता। आरोपी को नोटिस देना होगा। कोर्ट ने कहा कि अगर निर्माण अवैध है, तो उसे तोड़ने से पहले नोटिस देना होगा। नोटिस कैसे देना है, इस पर भी कोर्ट ने अपनी राय रखी। न्यायाधीशों ने कहा कि अगर निर्माण अवैध है, तो नोटिस दिया जाना चाहिए और अच्छा तरीका यह है कि नोटिस निबंधित डाक से भेजा जाए। घर की दीवार पर नोटिस चिपका देना अच्छा नहीं है। रजिस्टर्ड डाक से नोटिस देने पर रिकार्ड भी डिजिटली सुरक्षित रहेगा। कोर्ट ने कहा कि तोड़ने से पहले कुछ समय भी दिया जाना चिहाए, ताकि व्यक्ति वैकल्पिक व्यवस्था कर सके।
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याद रहे पिछले महीने मध्य प्रदेश के छतरपुर में थाने पर पथराव के आरोपी हाजी शहजाद अली की बड़ी कोठी को बुलडोजर लगा कर तोड़ दिया गया। कोठी 20 हजार वर्ग फीट में बनी थी, जिसकी कीमत 20 करोड़ बताई गई थी। उसके बाद ही किसी का मकान इस तरह उजाड़ दिए जाने पर देश में सवाल उठा था।
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