हर चैनल पर केवल गुजरात और गुजरात, हिमाचल बोलने से डर क्यों
टीवी चैनलों पर एंकरों के बीच एक प्रतियोगिता चल रही है कौन ज्यादा चीख सकता है। हर चैनल पर केवल गुजरात की चर्चा। हिमाचल के संदेश पर चर्चा क्यों नहीं?
आप कोई भी टीवी चैनल खोल लें, हर जगह गुजरात और गुजरात चुनाव की चर्चा है कि किस प्रकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है। भाजपा ने इतिहास रच दिया। कांग्रेस का सफाया हो गया आदि-आदि। कोई चैनल हिमाचल प्रदेश की चर्चा नहीं कर रहा कि वहां भाजपा क्यों हार गई, प्रधानमंत्री मोदी का जादू वहां क्यों नहीं चला और सबसे बढ़कर हिमाचल की जनता ने किन मुद्दों पर कांग्रेस को वोट दिया?
हाल यह है कि चैनलों पर खबरों के बाद विज्ञापन की जगह भी भाजपा समर्थकों को नारे लगाते दिखाया जा रहा है। दरअसल गुजरात की चर्चा में जनता के मुद्दों की बात करने की जरूरत नहीं है। ये टीवी चैनल मजबूरी में हिमाचल का नाम लेते हैं और एक लाइन कह कर आगे बढ़ जाते हैं कि हिमाचल ने हक पांच साल में सरकार बदलने का रिवाज बना रहा। बस। इसके बाद फिर गुजरात। कभी-कभी रामपुर की चर्चा की वहां भाजपा जीत गई है, लेकिन मैनपुरी का विश्लेषण कोई नहीं कर रहा।
हिमाचल प्रदेश की चर्चा करने का मतलब है कि यहां जादू, करिश्मा जैसे शब्दों से काम नहीं चलेगा। हार्दिक पटेल ने गुजरात की जात पर कहा कि धारा 370 हटाने की जीत है। हिमाचल पर चर्चा करने का मतलब है कि महंगाई, बेरोजगारी, अग्निवीर, पूर्व सैनिकों की पेंशन जैसे मुद्दों पर बात करनी होगी। इन मुद्दों पर बात करना आसान नहीं है।
सारे चैनल इस प्रकार चीख रहा है जैसे जनता के मुद्दे कुछ हैं ही नहीं। नौकरशाही डॉट कॉम ने कई चैनलों पर गौर किया। किसी चैनल ने बेरोजगारी, महंगाई जैसे शब्दों का उच्चारण भी नहीं किया। किसी एंकर की जुबान पर बेरोजगारी, महंगाई जैसे शब्द एक बार भी नहीं आए।
हिमाचल की चर्चा को रिवाज बता कर खत्म करना क्या ठीक है। उत्तराखंड में तो रिवाज नहीं दुहराया गया। पाठकों से आग्रह है कि गोदी चैनल देखना बंद करें और अपना विवेक जगाए रखें।
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