हर घर तिरंगा : अपने ही जाल में फंसी BJP, छिड़ गई वैचारिक बहस

हर घर तिरंगा अभियान का मकसद राष्ट्रवाद बढ़ाना हो या महंगाई से ध्यान भटकाना, पर देश में एक नई वैचारिक बहस छिड़ गई है। पांच भाग में बंटा अभियान।

कुमार अनिल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर शुरू हुआ हर घर तिरंगा अभियान पांच भाग में बंट गया है। इसी के साथ देश में एक नई वैचारिक बहस भी शुरू हो गई है। हर घर तिरंगा अभियान में एक हिस्सा भाजपा का है। सारे भाजपा नेताओं ने सोशल मीडिया में डीपी में तिरंगा लगा दिया है। कांग्रेस ने नेहरू के हाथ में तिरंगा वाली तस्वीर लगा दी। जदयू-राजद जैसे विपक्ष दलों ने प्रधानमंत्री के अभियान का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया। वे तिरंगा अभियान को भाजपा का प्रचार अभियान मान रहे हैं। चौथा हिस्सा आरएसएस का है, जिसने डीपी में तिरंगा नहीं लगाया। वैसे एक पांचवा हिस्सा भी है, जो हर घर भगवा (#HarGharBhagwa) ट्रेंड कराने में लगा है।

इस तरह हर घर तिरंगा अभियान वैसा एकीकृत नहीं रहा, जैसा देश में थाली पीटो, घंटी बजाओ अभियान था। इसकी वजह अलग-अलग लोग अलग-अलग मान रहे हैं।

लेकिन एक अच्छी बात यह हुई कि हर घर तिरंगा अभियान के कारण देश में एक वैचारिक बहस छिड़ गई है। युवा तबका इस बात से नावाकिफ था कि हमारे झंडे के तीन रंगों का क्या अर्थ है और बीच में अशोक चक्र का क्या मतलब है। यह तबका धीरेःधीरे वाकिफ हो रहा है कि तीन रंगों और अशोक चक्र का अर्थ क्या है और यह अच्छी बात है। इसके लिए एनसीईआरटी की मदद लेना सही होगा।

हर घर तिरंगा अभियान में लेखक अशोक कुमार पांडेय ने एक ऐसा सवाल खड़ा किया, जिसने बहुतों की आंखें खोल दीं। उन्होंने भाजपा और संघ समर्थकों सीधी चुनौती दी कि वे अपने नेता सावरकर, गोलवरकर की कोई तस्वीर लगाएं, जिसमें उनके हाथ में तिरंगा हो। अब इसका जवाब भला कौन दे!

इसके बाद लोगों ने जाना कि आरएसएस ने तिरंगे का विरोध किया था। संघ ने तब कहा था कि तीन रंग हिंदुओं के लिए अशुभ है। इस पर पहले गृह मंत्री ने कहा था कि ब्रह्मा-विष्णु-महेश भी तो तीन ही हैं।

भाजपा और गोदी मीडिया ने पलटवार करने की कोशिश की कि कांग्रेस के लोग नेहरू की तिरंगा लिये तस्वीर क्यों लगा रहे हैं। इसका भी सही जवाब अशोक कुमार पांडेय ने दिया कि प्रथम प्रधानमंत्री के नाते तिरंगा लिये वह तस्वीर तबकी है, जब देश ने तिरंगे को राष्ट्रीय झंडे के बतौर स्वीकार किया। नेहरू ने प्रधानमंत्री होने के नाते सबसे पहले झंडे को हाथ में लेकर दिखाया। उन्होंने ट्वीट किया-जिनके पास इतिहास होगा, जिनके पुरखों ने शान से तिरंगा फहराया होगा, जिनके खानदान ने आज़ादी की लड़ाई में कुर्बानी दी होगी, वही अपने इतिहास, पुरखों और परिवार पर गर्व कर सकेंगे। जिनके परिवार का कोई इतिहास नहीं होगा, जिनके पुरखों ने गद्दारी की होगी वे इतिहास के नाम पर शर्मनाएंगे ही।

देश में छिड़ी वैचारिक बहस से एक फायदा यह हुआ कि बहुत सारे लोग जो आरएसएस के बारे में पूरा नहीं जानते थे, वे भी जान गए कि जब देश अंग्रेजों से लड़ रहा था, तब आरएसएस उसमें शामिल नहीं था। अशोक कुमार पांडेय के ट्विटर हैंडल पर जाइए, आपको पूरी बहस मिलेगी। और हां, उन्हें सुनिए इस लिंक पर-

youtu.be/nPnn3jMVbn0 via @YouTube

UAPA के तहत 2018-20 में 4690 गिरफ्तार, सबसे ज्यादा उप्र में

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427