लोजपा प्रमुख चिराग पासवान हरियाणा में भाजपा सरकार के शपथ समारोह में शामिल हुए थे। उनके लौटते ही सरकार ने एससी-एसटी आरक्षण में वर्गीकरण का फैसला ले लिया है। भाजपा की सरकार ने अपनी पहली बैठक में ही यह फैसला लिया है। बसपा प्रमुख मायावती ने तीखा विरोध किया है, वहीं चिराग पासवान ने अभी तक चुप्पी बनाए रखी है।

याद रहे सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों एससी-एसटी आरक्षण में वर्गीकरण तथा क्रिमीलेयर की व्यवस्था लागू करने के पक्ष में फैसला दिया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हरियाणा उसे लागू करने वाला पहला प्रदेश बन गया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को हम पहले दिन से ही लागू कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में राज्य सरकारों को अधिकार दिया है।

माना जा रहा है कि इस फैसले के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा आरएसएस का पूरा समर्थन है। बिना केंद्रीय नेतृत्व की सहमति के इतना बड़ा फैसला सैनी सरकार नहीं ले सकती।

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इधर बसपा प्रमुख ने हरियाणा सरकार के फैसले का तीखा विरोध किया है। कहा कि हरियाणा की नई भाजपा सरकार द्वारा एससी समाज के आरक्षण में वर्गीकरण को लागू करने अर्थात आरक्षण कोटे के भीतर कोटा की नई व्यवस्था लागू करने का फैसला दलितों को फिर से बांटने व उन्हें आपस में ही लड़ाते रहने का षड़यंत्र। यह दलित विरोधी ही नहीं बल्कि घोर आरक्षण विरोधी निर्णय है। हरियाणा सरकार को ऐसा करने से रोकने के लिए भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व के आगे नहीं आने से भी यह साबित है कि कांग्रेस की तरह बीजेपी भी आरक्षण को पहले निष्क्रिय व निष्प्रभावी बनाने और अन्ततः इसे समाप्त करने के षडयंत्र में लगी है, जो घोर अनुचित व बीएसपी इसकी घोर विरोधी है। वास्तव में जातिवादी पार्टियों द्वारा एससी-एसटी व ओबीसी समाज में ’फूट डालो-राज करो’ व इनके आरक्षण विरोधी षड़यंत्र आदि के विरुद्ध संघर्ष का ही नाम बीएसपी है। इन वर्गों को संगठित व एकजुट करके उन्हें शासक वर्ग बनाने का हमारा संघर्ष लगातार जारी रहेगा।

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By Editor


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