हवा में उड़े, हवाई किला भी बनाया, धरातल पर Mukesh Sahni
Mukesh Sahni हवा में खूब उड़े, हवा में ही अपना किला भी बना लिया, लेकिन देखते-देखते धरातल पर आ गिरे। मंत्री पद गया अब विधान मंडल से भी बाहर होंगे।
बिहार की राजनीति में Mukesh Sahni एक विशिष्ट तरह के उदाहरण बन गए। वे अचानक बिहार की राजनीतिक हवा में दिखे। भर-भर पेज का अखबारों में विज्ञापन छपा। कुछ ही दिनों में उन्होंने एनडीए से लेकर यूपीए तक का भ्रमण कर लिया। 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपनी तरफ से मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी को 11 विधानसभा क्षेत्र दिए साथ ही विधान परिषद में भी एक सीट दी। विधानसभा चुनाव में सहनी चार सीट जीतने में कामयाब रहे। फिर तो वे यूपी विधानसभा चुनाव में भी कूद पड़े।
आज स्थिति यह है कि मुकेश सहनी की पार्टी का विधानसभा में अस्तित्व समाप्त हो गया है। एक विधायक का निधन हो गया और बचे तीन विधायक भाजपा में शामिल हो गए। यही नहीं, जिस क्षेत्र में उनके विधायक का निधन हुआ, वहां उपचुनाव में भाजपा ने अपना प्रत्याशी उतार दिया। वह सीट थी बोचहा। यहां राजद जीता और सहनी को हार का सामना करना पड़ा। उसके बाद उन्हें बिहार में मंत्री पद से बरखास्त कर दिया गया। अब भी वे खुद विधान परिषद के सदस्य थे, लेकिन अब उसका भी कार्यकाल खत्म हो रहा है। अगले महीने परिषद का चुनाव है और कोई पार्टी उन्हें एमएलसी बनाने के लिए तौयार नहीं है।
बिहार की राजनीति में मुकेश सहनी एक नकारात्मक मॉडल साबित हो चुके हैं। धन और जाति के नारे से आप हवा में उड़ तो सकते हैं, हवा में किला बी बना सकते हैं, पर उसकी मियाद कितनी छोटी होती है, यह सहनी के उदाहरण से साफ है। राजनीति का मैदान समतल नहीं, बेहद उबड़-खाबड़ है। इस धरातल पर टिकने और विस्तार करने के लिए सिर्फ धन और कुछ नारे नाकाफी हैं। आज हालत यह है कि मुकेश सहनी राजनीतिक हलके की चर्चा से भी बाहर हो गए हैं। अब देखना है कि वे बिहारी की कठिन राजनीतिक जमीन पर किस तरह पांव टिकाते हैं या यहां से उखड़ जाते हैं।
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