स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने पहली बार लांच किया ई-क्लीनिक
बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने ई-क्लीनिक लॉन्च किया। 100 क्लीनिक तत्काल काम करना शुरू कर देंगे।
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय शनिवार को आयोजित एक कार्यक्रम में राज्य की स्वास्थ्य सेवा दुरुस्त करने के लिए ई-क्लीनिक लांच किया। तत्काल 100 क्लीनिक बिहार में काम करेंगे। इसके बाद इसकी संख्या बढ़ेगी। ई-क्लीनिक (हेल्थ कियोस्क) के साथ अगले एक वर्ष में एक करोड़ लोगों का इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकार्ड भी बनाया जाएगा। चिकित्सा की यह नवीनतम विधी जिफ्फीहेल्थ बिहार में लेकर आई है।
लाँचिंग के मौके पर बोलते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि ये एक बहुत अच्छी शुरुआत है। बिहार के पढ़े-लिखे लोग पूरी दुनिया में ख्याति अर्जित कर रहे हैं। लेकिन इस मामले में खास बात यह है कि दुनिया में ख्याति अर्जित करने के बाद लोग अपने बिहार की उन्नति के लिए भी काम कर रहे हैं। ऐसे लोग बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर करने के लिए प्रयास कर रहे हैं जो कि अत्यंत सराहनीय है। जिफ्फीहेल्थ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और सह संस्थापक बिहार के ही निवासी हैं। यह संस्थान लोगों का स्वास्थ्य रिकार्ड इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से बनाने का भी लक्ष्य रखी है। यह एक अच्छी पहल है। मुझे जान कर आश्चर्य हुआ कि हजारों किलोमीटर दूर बैठे डॉक्टर दूर जिलों में रह रहे मरीज के हृदय की धड़कन, बीपी, शुगर, ऑक्सीजन लेवल आदि रियल टाइम में सुन और देख सकेंगे। इससे इलाज के लिए लोगों को बड़े शहर में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। जिफ्फीहेल्थ को मेरी शुभकामना है। जहां भी हमारी जरूरत पड़ेगी , हम सहयोग करेंगे।
कार्यक्रम में जिफ्फीहेल्थ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी व मधुबनी ज़िला के रहिकपुर निवासी कैप्टन इन्द्र कुमार ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि मैं भी बिहार का ही निवासी हूं। इस क्षेत्र में आने कारण मेरी बचपन की स्मृतियां है। मामूली डायरिया की वजह से मेरा एक चचेरा भाई गुजर गया। तब से मैं बिहार के स्वास्थ्य सेवा की बेहतरी के लिए कुछ करना चाह रहा था। बिहार में 17 हजार 650 लोगों पर एक डॉक्टर है, जबकि देश स्तर पर देखा जाए तो 11 हजार 97 लोगों की आबादी पर एक डॉक्टर है। वहीं देश में उपलब्ध 82 प्रतिशत डॉक्टरों तक सिर्फ 20 प्रतिशत आबादी की ही पहुंच है। बाकी 18 प्रतिशत डॉक्टर 80 प्रतिशत आबादी का इलाज करते हैं। ई-क्लीनिक व हेल्थ कियोस्क से यह अनुपात सुधरेगा। लोगों को अपने घर के पास उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सेवा सुलभ हो पाएगा।
इस स्टार्ट-अप का उद्देश्य प्रभावी डिजिटल हेल्थकेयर प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना है। इसका आईओटी एकीकृत समाधान पूरी तरह से ऑनलाइन और ऑफ-लाइन परामर्श के बीच की खाई को पाटता है। यह तीन-तरफा वीडियो परामर्श सुविधा भी प्रदान करता है, जो हमारी युवा पीढ़ी के लिए फायदेमंद है। खासकर वो जो विभिन्न शहरों में रहनते हैं और अपने माता-पिता की देखभाल करना चाहते हैं। रोगी या चिकित्सक की सहायता के लिए वीडियो परामर्श में किसी तीसरे व्यक्ति को शामिल किया जा सकता है। कोविड की वजह से लोगों को घर में रहने की व्यवस्था ने माता-पिता को अपने बच्चों से अलग होने के लिए मजबूर किया। खासकर जिन्होंने विभिन्न स्थानों पर काम किया या पढ़ाई की। जिफ्फी हेल्थ की मदद से रोगी के माता-पिता या अभिभावक परामर्श में शामिल हो सकते हैं और अपने प्रियजन की स्वास्थ्य कठिनाइयों के बारे में जान सकते हैं।
लक्ष्य प्रत्येक व्यक्ति को सस्ती और विश्वसनीय स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना और समय और लागत को लोगों के अनुसार करके बेहतर ग्राहक यात्रा प्रदान करना है। लाइव क्यू-मैनेजमेंट, वॉयस क्लिनिकल नोट, इंटीग्रेटेड डायग्नोस्टिक और ओपीडी प्रबंधन के साथ फार्मेसी जैसे कुछ तरीके व औजार हैं, जो जिफ्फीहेल्थ को अलग करता है।
ई-क्लीनिक की प्रक्रिया ऐसी रहेगीः कैप्टन इन्द्र कुमार ने बताया कि बिहार के हर जिला में फार्मेसी की दुकान में ई-क्लीनिक खोला जाएगाा। जिसके तहत हेल्थ कियोस्क लगाया जाएगा। मरीज उसके सामने बैठेगा। उसमें कुछ इक्वीमेंट्स लगे रहेंगे, जो मरीज की धड़कन, ऑक्सीजन लेवल, बीपी, शुगर आदि रियल टाइम दूर बैठे विशेषज्ञ डॉक्टर को पता चल जाएगा। फिर वो दवा लिखेंगे जो फॉर्मेसी वालों को मिल जाएगा। यदि डॉक्टर को लगेगा कि और जांच की जरूरत है तो वहीं एसोसिएट लैबोरेट्ररी वाले मरीज का सेंपल कलेक्ट करेंगे और जांच कर के रिपोर्ट डॉक्टर को भेज देंगे। डॉक्टर जांच रिपोर्ट के आधार पर दवा लिखेगा जो फॉर्मेसीवाले को मिलेगा। फिर मरीज दुकान से दवा ले लेगा। इस तरह मरीज को घर बैठे देश के बड़े डॉक्टरों का इलाज मिल जाएगा। हमलोग हेल्थ रिकॉर्ड भी कलेक्ट करेंगे जो नेशनल हेल्थ आईडी से जुड़ा रहेगा। भविष्य में मरीज कहीं भी दिखाता है तो डॉक्टर को उस मरीज का पूर्व का हेल्थ रिकार्ड मिल जाएगा। जिफ्फी हेल्थ का अपना मोबाइल एप भी है। इसके माध्यम से दवा की डिलीवरी, डॉक्टर का अप्वाइंटमेंट, पैथोलॉजी टेस्ट, मेडिकल लोन आदि की सुविधा मिल सकेगी।
जिफ्फीहेल्थ स्टार्टअप के तहत किया गया है शुरू
जिफ्फीहेल्थ अटल इनोवेशन में इनक्यूबेटेड है। यह देश में स्वास्थ्य सेवा को सुलभ और किफायती बनाना चाहती है। इसे हेल्थकेयर इनोवेशन के लिए नीति आयोग कॉफी टेबल पत्रिका में विशेष स्थान दिया गया है। आयुष्मान भारत ग्रैंड चैलेंज के सेमी फाइनल में यह कंपनी पहुंची है। सह-संस्थापक को ‘‘वीमेन ट्रांसफॉर्मिंग अवार्ड‘‘ के लिए शीर्ष -100 फाइनलिस्ट में चुना जा चुका है।
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