झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने हेमंत सोरेन को धोखा दिया, पर खुद बुरी तरह फंस गए हैं। उनके भाजपा में शामिल होने की चर्चा थी, लेकिन भाजपा के पुराने आदिवासी नेता नहीं चाहते कि वे भाजपा में शामिल हों। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबू लाल मरांडी ने कहा कि चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने पर कोई बात नहीं हुई है। उन्होंने चंपई को सुझाव दिया कि वे अपने अपमान का बदला लेने के लिए अपना रास्ता खुद बनाना चाहिए। इसका अर्थ है कि मरांडी नहीं चाहते कि चंपई भाजपा में आएं। मरांडी चाहते हैं कि चंपई सोरेन अपनी अलग पार्टी बना कर चुनाव लड़ें। भाजपा नेताओं को उम्मीद है कि ऐसा करने पर वे हेमंत को ज्यादा नुकसान पहुंचा सकेंगे और भाजपा की चुनावी जीत की संभावना बढ़ेगी।
चंपई सोरेन बिना किसी को बताए दिल्ली पहुंचे। उनकी कई भाजपा नेताओं से बात हो चुकी है, लेकिन वे अभी तक अमित शाह से नहीं मिल पाए हैं। शाह ही तय करेंगे कि चंपई भाजपा में शामिल होंगे या अपनी अलग पार्टी बनाएंगे। झारखंड भाजपा के नेताओं के विरोध को देखते हुए नहीं लगता कि चंपई की भाजपा में इंट्री हो पाएगी।
इधर चंपई के धोखा देने से हेमंत सोरेन के प्रति एक सहानुभूति देखी जा रही है, जबकि चंपई की प्रतिष्ठा रातों-रात गिरी है। हेमंत सोरेन ने चंपई के खिलाफ कुछ कहने के बजाय भाजपा को घेरा है। कहा कि भाजपा वाले असम, गुजरात से आकर झारखंड वासियों को लड़ाना चाहते हैं। नफरत फैला रहे हैं। भाजपा का काम घर और पार्टी तोड़ना है।
आरक्षण की लूट, वक्फ एक्ट से भी बुरा फंसे नीतीश
पहले कहा जा रहा था कि चंपई के साथ पांच से छह विधायक हैं, लेकिन जिन विधायकों के नाम लिये जा रहे थे, उन्होंने खंडन कर दिया है। पांच विधायकों के दलबदल से भी हेमंत सरकार को कोई खतरा नहीं है। अब यह साफ हो गया है कि चंपई सोरेन अकेले हैं। वे ज्यादा विधायकों को तोड़ पाने में विफल रहे। इसलिए अमित शाह भी उन्हें खास महत्व नहीं दे रहे। सोमवार को खबर लिखे जाने तक चंपई सोरेन दिल्ली में अमित शाह से समय मिलने का इंतजार कर रहे हैं।