झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। उनके जेल से छूटने की खबर से पूरे झारखंड में खासकर झारखंड मुक्ति मोर्चा और इंडिया गठबंधन समर्थकों में खुशी की लहर छा गई। प्रदेश में चार महीने बाद विधानसभा चुनाव है। जेल से निकलने पर हेमंत सोरेन ने कहा कि हमने झारखंड के लिए जो लड़ाई शुरू की है, उसे अंजाम तक पहुंचाएंगे। हम झुकेंगे नहीं, लड़ेंगे और जीतेंगे।
रांची हाईकोर्ट ने 13 जून को ही सुनवाई पूरे कर ली थी, लेकिन फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज शुक्रवार को हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। जस्टिस रोंगोन मुखोपाध्याय ने अपने फैसले में ईडी के उस दावे को भी खारिज किया जिसमें एजेंसी ने कहा था कि उसकी सही समय पर कार्रवाई के कारण आरोपी जमीन पर कब्जा नहीं कर पाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि जमीन घोटाले के समय हेमंत सोरेन सत्ता में नहीं थे। इसके बावजूद जमीन हड़पने के कथित मामले में किसी भी आरोपी ने कोई मुकदमा नहीं किया। कोर्ट ने यह भी कहा कि पीएमएलए 2002 की धारा 45 के तहत यह मानने का आधार है कि याचिकाकर्ता अपराध का दोषी नहीं है। उधर ईडी ने जमानत के फैसले पर 48 घंटे की रोक की मांग की ताकि जमानत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सके, लेकिन हाईकोर्ट ने स्टे देने से मना कर दिया। ऐसे ही मामले में केजरीवाल को निचली अदालत से जमानत मिलने के बाद ईडी ने हाईकोर्ट से जमानत रद्द करवा दी।
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सोरेन पिछले पांच महीने से जेल में थे। हाईकोर्ट के फैसले के बाद जेल से उन्हें लेने उनकी पत्नी और विधायक कल्पना सोरेन जेल गेट पर पहुंची। सोरेन की जमानत और कोर्ट की टिप्पणी से झामुमो का जोश बढ़ गया है।
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