यूपी के समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता Azam Khan के बेटे Abdullah Azam की विधायकी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है.
Abdullah Azam की विधायकी रद्द करवाने के लिए उनके प्रतिद्वंद्वि नवाब काजिम अली याचिका दायर की थी. मामले की सुनवाई के बाद अदालत इस नतीजे पर पहुंची कि अब्दुल्ला आजम की विधायकी उचित नहीं है.
यह आजम खान की धौंस है या अधिकारियों की चापलूसी
काजिम अली ने अब्दुल्ला की उम्र कम होने के कारण निर्वाचन रद्द करने का अनुरोध किया था। चुनाव के समय वह 25 साल के भी नहीं थे इसलिए चुनाव लड़ने के अयोग्य थे।
सुनवाई के दौरान आजम खां की पत्नी, अब्दुल्ला का जन्म के वक्त मौजूद डाक्टर भी अदालत में पेश हुई थीं. दलीलों के आधार पर आज हाईकोर्ट ने काजिम अली की याचिका को स्वीकार करते हुए अब्दुल्ला की निर्वाचन रद्द कर दिया।
यह फैसला जस्टिस एसपी केसरवानी की बेंच ने सुनाया। हाईकोर्ट कोर्ट ने 27 सितम्बर को जजमेंट रिजर्व कर लिया था। चुनाव के वक्त न्यूनतम निर्धारित आयु 25 साल नहीं होने की वजह से निर्वाचन रद्द किया गया।
मालूम हो कि आजम खान पहले खुद इस सीट से विधायक चने जाते रहे हैं. इस बार आजम खान लोकसभा के लिए चुने गये थे.
यह फैसला जस्टिस एसपी केसरवानी की बेंच ने सुनाया। हाईकोर्ट कोर्ट ने 27 सितम्बर को जजमेंट रिजर्व कर लिया था। चुनाव के वक्त न्यूनतम निर्धारित आयु 25 साल नहीं होने की वजह से निर्वाचन रद्द किया गया।
मालूम हो कि आजम खान पहले खुद इस सीट से विधायक चने जाते रहे हैं. इस बार आजम खान लोकसभा के लिए चुने गये थे.
आजम खान समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता हैं वह उत्तर प्रदेश में मंत्री भी रह चुके हैं. आजम खान पिछले दिनों से काफी चर्चा में हैं क्योंकि उनके मौलान मोहम्मद अली जौहर युनिवर्सिटी के ऊपर योगी सरकार ने अनेक केस किये हैं.
आजम खान का आरोप है कि योगी सरकार राजनीतिक साजिश के तहत उनके खिलाफ केस दर्ज करवा रही है.