हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी नौ वर्षों से नहीं मिल रही पेंशन
बिहार प्रशासनिक सेवा के अवकाशप्राप्त अधिकारी एनके ठाकुर को हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी नौ वर्षों से पेंशन नहीं मिल रही। उनके जैसे अनके अन्य कर्मी भी हैं।
बिहार प्रशासनिक सेवा के अवकाशप्राप्त अधिकारी एनके ठाकुर कोविड से पीड़ित थे। कोविड निगेटिव होने के बाद भी अनेक बीमारियों से जूझ रहे हैं। उन्हें नौ वर्षों से पेंशन नहीं मिली है। हाईकोर्ट, पटना में अपील करनी पड़ी। कोर्ट के निर्देश के बाद वर्ष 2019 में एकमुश्त छह लाख रुपए मिले, लेकिन पेंशन का निर्धारण नहीं किया गया। जो भी जमा राशि थी, वह बीमारी के इलाज में खत्म हो गई। वे बार-बार आवेदन दे रहे हैं, पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
पेंशन की राशि निर्धारित नहीं होने पर वे दुबारा हाईकोर्ट गए। अवमाननावाद ( MJC 3735-2019 ) दायर किया। सुनवाई शुरू हो पाती, इससे पहले ही कोरोना महामारी के कारण सभी सरकारी कार्यालय और हाईकोर्ट भी बंद हो गया।
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अब एनके ठाकुर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर अपनी स्थिति बयां की है। उन्होंने लिखा है कि पटना उच्च न्यायालय के नए भवन के उद्घाटन के अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के माननीय मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायालयों में मुकदमों की संख्या कम करने के लिए न्यायालय से बाहर समझौते हों। उन्होंने पूछा है कि समझौते का स्वरूप क्या होगा, इसे स्पष्ट किया जाए, ताकि वे समझौते की प्रक्रिया अपना सकें।
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ठाकुर ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में प्रोन्नति का मसला भी उठाया है। यह मसला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। उन्होंने समझौते के बारे में अपना अनुभव बताया है। लिखा कि सामान्य प्रशासन विभाग के पेंशन प्रशाखा में सहायक, बड़ा बाबू से लेकर पदाधिकारियों एवं प्रधान सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग के साथ कैसे और किस प्रकार समझौता करूं, जबकि विभाग ने उच्च न्यायालय, पटना के आदेश का भी पालन नहीं किया। इसी कारण मुझे अवमाननावाद दायर करना पड़ा। ठाकुर ने प्रधानमंत्री से जल्द पेंशन दिलाने के लिए उचित निर्देश देने का अनुरोध किया है।