केंद्र सरकार एक ऐसी नियमावली को मंजूरी देने वाली है जिसके तहत आईएएस- आईपीएस अफसरों को राज्य सरकारों द्वारा निम्बलित किये जाने के 48 घंटे के भीतर केंद्र को बताना होगा.
यह नियमावली अगर लागू हो गयी तो कुलदीप नारायण, अशोक खेमका और नागपाल जैसे आईएएस अफसरों को काफी राहत मिल सकती है.
दर असल राज्य सरकारों पर आईएएस लॉबी यह आरोप लगाती रही है कि उन्हें निलंबित करके कार्मिक मंत्रालय को सूचित करने में देर की जाती है जिससे उनका मामला लटका रह जाता है.
हालांकि यह नियम उन मामलों को छोड़कर लागू होगा, जहां राज्य सरकारों की समीक्षा समिति ने इसकी पूर्व अनुमति दी हो.
अखिल भारतीय सेवाएं (अनुशासन एवं अपील) संशोधन नियम 2015 के मसौदे के अनुसार निलंबन को एक हफ्ते से अधिक जारी रखने के लिए संबंदित सरकार को सिविल सर्विसेज बोर्ड या केंद्रीय समीक्षा समिति की अनुशंसा की जरूरत होगी. केंद्र की समीक्षा समिति का नेतृत्व संबंधित मंत्रालय (आईएएस के लिए कार्मिक, आईपीएस के लिए गृह और आईएफओएस के लिए वन) के सचिव द्वारा किया जाता है, जबकि राज्य स्तर पर इसका नेतृत्व मुख्य सचिव के पास होता है.
नई नियमावली में यह भी अनिवार्य किया गया है कि राज्य सरकारें आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसरों के निलंबन के केंद्र के आदेश की 30 दिन के भीतर पुष्टि करे. जाहिर है इस नियम से राज्य सरकार की पकड़ अखिल भारतीय सेवा के अफसरों पर कमजोर पड़ेगी. कुछ आईएएस अफसर राज्य सरकारो पर आरोप लगाते रहे हैं कि वे उनके संग मनमानी करती रही हैं.