IAS केके पाठक पर राजद-भाजपा गरम, जदयू नरम
IAS केके पाठक पर राजद-भाजपा गरम, जदयू नरम। आईएएस के पक्ष-विपक्ष में उतरे विभिन्न दल के प्रमुख नेता। शिक्षा विभाग से तबादले की उम्मीद नहीं।
बिहार के राजनीतिक दल बुधवार को एक IAS की भूमिका लेकर आपस में भिड़ गए। रोचक बात यह कि उक्त आईएएस के खिलाफ एक दूसरे के धुर विरोधी राजद और भाजपा के सुर एक हैं, जबकि जदयू के मंत्री आईएएस के बचाव में उतरे।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के खिलाफ राजद के मुख्य प्रवक्ता और मनेर के विधायक भाई वीरेंद्र ने जोरदार हमला बोला। कहा, ये नियमों का पालन नहीं करते, मनमर्जी करते हैं। भाई वीरेंद्र ने कहा-केके पाठक लगातार शिक्षा मंत्री और सरकार की फ़ज़ीहत करते हैं, नीतीश कुमार को के.के पाठक को बाहर निकालनी चाहिये, के.के पाठक अपनी मनमर्ज़ी का काम करते हैं, इनको क्या चाहिए हमको पता है, बाद में खुलासा होगा।
इधर भाजपा के एक मुखर नेता और MLC ने भी आईएएस केके पाठक पर हमला बोला। भाजपा के विधान पार्षद नवल किशोर यादव ने कहा- केके पाठक सुर्खियों में रहने के लिए निगेटिव काम करते हैं। शिक्षकों के साथ इस तरह का व्यवहार बंद करें। शिक्षकों जिम्मेदारी पढ़ाने की है, घर से बच्चों को लाने की नहीं।
याद रहे वरिष्ठ आईएएस केके पाठक ने शिक्षा विभाग की कमान संभालते ही कई बड़े निर्णय लिये। इनमें शिक्षकों की उपस्थिति की रोजाना रिपोर्ट, मध्यान्न भोजन, साफ-सफाई, समय पर सभी कर्मियों की उपस्थिति सहित कई निर्णय हैं। इन निर्णयों के अनुपालन के लिए उन्होंने एक सिस्टम भी बनाई, जिससे रोज शाम तक सारी रिपोर्ट विभाग को मिल जाती है। केके पाठक के इन निर्णयों से पहले दिन से ही हड़कंप है। सैकड़ों शिक्षकों पर अब तक कार्रवाई हो चुकी है। अकेले पटना जिले में 77 शिक्षकों पर बिना बताए अनुपस्थित रहने के कारण कार्रवाई की गई है। इन सबका वेतन रोक दिया गया है।
इस बीच जदयू ने केके पाठक का पक्ष लिया है। मंत्री और प्रवक्ता तक केके पाठक के पक्ष में उतरे। राज्य सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा- केके पाठक अच्छे अधिकारी हैं। जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने भी मीडिया से बात करते हुए कहा कि केके पाठक काम करने वाले अधिकारी हैं। इसलिए जो काम करनेवाले नहीं हैं, वे उनसे नाराज रहते हैं।
ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा कि किसी आईएएस के पक्ष और विपक्ष में इस प्रकार विभिन्न दल खुल कर सामने आ गए हैं। राजद का कहना है कि केके पाठक शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के कार्य में बाधा उत्पन्न करते हैं, इससे शिक्षा विभाग में सुधार करने में परेशानी आ रही है। जिस प्रकार विभिन्न दलों की अलग-अलग राय है, उससे लगता नहीं कि केके पाठक का शिक्षा विभाग से तबादला होगा। वे इसी विभाग में जमे रहेंगे।
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