2017 का नोबल शांति पुरस्कार किसी व्यक्ति के बजाये ICIAN(आईसीएन) नामक संस्था को दिया गया है. आइए जानिये कि क्या है या संस्था और किस महत्वपूर्ण काम के लिए उसे यह सम्मान मिला है.
सम्मान प्राप्त होने के बाद आसीएएन ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है कि. यह बहुत ही गर्व की बात है कि न्युक्लियर बैन की दिशा में हमारी उपलब्धियों को सम्मानित किया गया है.
इस पुरस्कार की घोषणा करते हुए ब्रिट एडर्सन ने कहा कि आज की दुनिया परमाणु युद्ध के खतरों से सबसे ज्यादा प्रभावित है.
ICAN International Campaign to Abolish Nuclear Weapons एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जो विश्व में परमाणु युद्ध के खतरों से आगाह करते हुए परमाणु बम को समाप्त करने के लिए काम करती है. इसकी स्थापना 2007 में की गयी थी. इसका मुख्यालय जेनेवा स्वीटजर लैंड में है.
बेट्रिक फीहेन इस कम्पेन के प्रमुख हैं.
फिलवक्स इस संस्था के 101 देशों में 468 पार्टनर आर्गनाइजेश्नस हैं. जो दुनिया भर में परमाणु युद्ध के खतरों और उसके खिलाफ चलाये जाने वाले अभियान का हिस्सा हैं. 2016 में आईसीएएन के उस प्रस्ताव को यूएन ने स्वीकार कर लिया था जिसमें उसने न्युक्लियर वीपंस को गैर कानूनी करार देने को कहा था.
इस साल शांति के नोबेल पुरस्कार की दौड़ में आईसीएएन के अलावा पोप फ्रैंसिस, ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जरीफ और सऊदी के ब्लॉगर रैफ बदावी भी शामिल थे। कमेटी ने पुरस्कार की घोषणा के समय कहा कि हम इसके जरिए सभी परमाणु हथियार संपन्न देशों को यही संदेश देना चाहते हैं कि अगर वे इसका इस्तेमाल करते हैं तो यह कितना विनाशकारी साबित हो सकता है।
भारत के दो व्यक्तियों को शांति का नोबल पुरस्कार मिल चुका है. मदर टेरेसा और कैलाश सत्यार्थी. सत्यार्थी को यह पुरस्कार 2014 में जबकि टेरेसा को 1979 में मिला था.