इधर पारस मंत्री बन रहे, उधर भतीजे Chirag ने ठोका मुकदमा
एक कहावत है सिर मुड़ाते ओले पड़े। आज यह कहावत चाचा पारस पर सही हो गई। वे केंद्र में मंत्री बनने के लिए घर से निकले, तभी भतीजे Chirag ने ठोका मुकदमा।
चाचा पशुपति पारस पटना से नया सूट सिलवा कर मंत्री बनने दिल्ली पहुंचे। अभी वे मंत्री पद की शपथ लेने निकल ही रहे थे कि भतीजे चिराग पासवान ने रंग में भंग डाल दिया। चिराग पासवान ने पारस को लोकसभा में लोजपा का नेता बनाए जाने के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में केस कर दिया।
चिराग पासवान के केस करने से राजनीतिक क्षेत्र और खासकर चाचा पारस के खेमे में अचानक भूचाल आ गया। यह उम्मीद तो थी कि लोकसभा में जिस तरह पारस को आनन-फानन में लोकसभा अध्यक्ष ने लोजपा का नेता घोषित कर दिया, उसपर चिराग चुप नहीं बैठेंगे, लेकिन चिराग ने जिस समय का चुनाव किया, वह बेहद खास है।
आज मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार होना है और आज ही चिराग ने पारस को लोकसभा में नेता बनाए जाने के खिलाफ केस किया। इस तरह चिराग ने मंत्रिमंडल विस्तार को अभूतपूर्व बतानेवाले भाजपा समर्थकों को भी खटास दे दी। अप्रत्यक्ष रूप से चिराग ने प्रधानमंत्री मोदी पर भी सवाल खड़ा कर दिया।
खुद चिराग ने लगातार चार ट्वीट किए। कहा-लोक जनशक्ति पार्टी ने आज माननीय लोकसभा अध्यक्ष के प्रारम्भिक फ़ैसले जिसमें पार्टी से निष्कासित सांसद पशुपति पारस को लोजपा का नेता सदन माना था के फ़ैसले के ख़िलाफ़ आज दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गई है।
चिराग ने फिर ट्वीट किया- लोकसभा अध्यक्ष के द्वारा पार्टी से निकाले गए सांसदों में से पशुपति पारस को नेता सदन मानने के बाद लोक जनशक्ति पार्टी ने माननीय लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष उनके फ़ैसले पर पुनः विचार याचिका दी थी, जो अभी भी विचाराधीन है।
प्रधानमंत्री जी के इस अधिकार का पूर्ण सम्मान है कि वे अपनी टीम में किसे शामिल करते हैं और किसे नहीं। लेकिन जहां तक LJP का सवाल है पारस हमारे दल के सदस्य नहीं हैं। पार्टी को तोड़ने जैसे कार्यों को देखते हुए उन्हें मंत्री, उनके गुट से बनाया जाए तो LJP का कोई लेना-देना नहीं है।
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पार्टी विरोधी और शीर्ष नेतृत्व को धोखा देने के कारण लोक जनशक्ति पार्टी से पशुपति कुमार पारस जी को पहले ही पार्टी से निष्काषित किया जा चुका है और अब उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने पर पार्टी कड़ा ऐतराज दर्ज कराती है।
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