Imarat Shariah,Imarat Shariah,

अमीर ए शरियत का चुनाव,चार बातों का रखें ध्यान

एक सदी से बनी Imarat Shariah की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है. अलग-अलग लॉबी चाहती है कि इमारत की बागडोर उसके हाथ आ जाये. इसके लिए एखलाकी कदरें पामाल हो रही हैं. लेकिन आम मुसलमान क्या चाहते हैं?

अमीर ए शरियत का चुनाव,चार बातों का रखें ध्यान
Haque-Ki-Baat-Irshadul-Haque
Irshadul Haque

इन दिनों पटना से ले कर दीगर जिलों में अलग-अलग लॉबी की मीटिंग्स हो रही है. हर लॉबी की चिंता सिर्फ और सिर्फ बजाहिर यह है कि इमारत शरिया जैसे प्रतिष्ठित इदारे की शन व शौकत की हिफाजत हो. जब सबकी मंशा यही है तो सवाल यह है कि कौन सी लॉबी गलत और कौन सी सही है? इस सवाल का जवाब बड़ा पेचीदा हो जाता है. ऐसे में हमें कुछ प्वाइंट्स पर गौर करना चाहिए ताकि इमारत का अगला अमीर चुने जाते समय उस पर ध्यान दिया जाये.

1.चूंकि इमारत शरिया को दीनी, सामाजी, शैक्षिक के साथ साथ शरीयत जैसे अहम मुद्दे पर काम करना होता है लिहाजा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि जो शख्स भी अमरी मुंतखब हो उसका या उसके बेटे-बेटियों का निजी सियासी महत्वकांक्षा ना हो. अगर इस तरह का बायलॉज इमारत शरिया का नहीं है तो बायलाॉज में इस मुद्दे को शामिल किया जाना चाहिए. क्योंकि अमीर ए शरियत एक प्रभावशाली पोस्ट है. जो अपने असर रसूख का इस्तेमाल सत्ता शीर्ष पर बैठे लोगों पर कर सकता है. इकतदार में बैठे लोग भी चाहते हैं कि अमीर का जो सियासी रसूख है उसका लाभ लिया जाये. अगर अमीर शरियत मिल्लत के मफाद पर अपने परिवार के मफाद को तरजीह देने लगे तो मिल्लत का भारी खसारा होगा. हमारे सामने इमारत शरिया के इतिहास में इसकी कई मिसालें हैं. दीन बचाओ देश बचाओ रैली को जिस तरह सियासी मफाद की खातिर सरे आम नीलाम किया गया, उसका नुकसान हमारा समाज आज तक भुगत रहा है.

2.आज इमारत शरिया की बदहाली पर गौर खौस करने के लिए बिहार के कुछ दानिशवरों की मीटिंग में मुझे शामिल होने का मौका मिला. इस मीटिंग में एक खास बात उठाई गयी. इस बात से मैं भी सहमत हूं कि इमारत जैसे बहुआयामी संस्था के संचालन के लिए ऐसी शख्सियत का चयन किया जाना चाहिए जो इमारत के मैनेजमेंट, उसके ऑपरेशन और डे टुडे एक्टिविटी के साथ साथ उससे जुड़े तमाम आनुसंगिक संस्थाओं की एक एक गतिविधि के संचालन का अनुभव हो. यह एक महत्वपूर्ण पक्ष है.

15 अप्रैल को इमारत शरिया के कॉल पर उमड़ पड़ा था लाखों का सैलाब

क्योंकि अगर इमारत शरिया की बागडोर किसी ऐसे शख्स के हाथ में सौंप दी जाये जो इमारत के प्रबंधन और उसकी व्यवस्था पर बारीक पकड़ ना हो तो इसका भारी नुकसान पहले तो इमारत शरिया को होगा और अल्टिमेटली इसका नुकसान मुस्लिम उम्मा को होगा. लिहाजा जब अगले अमीर के चयन या चुनाव की बात हो तो इस पहलु पर जरूर ध्यान दिया जाये.

दीन बचाओ कांफ्रेंस का ऑफ्टर इफैक्ट: नवनियुक्त एमएलसी के इमारत प्रवेश पर पाबंदी

3. हमें इस बात पर संजीदगी से गौर करने की जरूरत है कि इमारत शरिया मुख्तलिफ मस्लकों का अमबरेला आर्गनाइजेशन बना रहे. क्योंकि जिस तरह से मुसलमान अलग अलग खानों में बंटे हैं, ऐसे में यह जरूरी है कि हम कमन एजेंडे पर एक रहें ताकि सरकारों और अन्य समुदायों से समन्वय के लिए हमारे पास एक साझा एदारा हो. और बिला संदेह इमारत शरिया इस किरदार को निभा सकता है. लिहाजा जब हम अगले अमीर के इंतखाब की बात करें तो इस बिंदु पर जरूर गौर करें.

4. इमारत शरिया के प्रति अकीदत रखने वाले लोग जीवन के अलग अलग फील्ड्स से ताल्लुक रखते हैं. इनमें सियासतदां भी हैं, पत्रकार भी हैं, प्रोफेशन्लस भी हैं. मजहबी आलिम भी हैं. प्रोफेसर्स भी हैं. वकील भी हैं. गोया विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय लोग इमारत से सहानुभूति रखते हैं. इन सबकी कॉमन सोच बस यही है कि इमारत शरिया फले-फुले. मिल्लत के दीनी, सामाजि खिदमात अंजाम देता रहे. ऐसे में इमारत शरिया के डिसीजन मेकर्स को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर शोबा ए जात के दानिशवरों को इससे जोड़ा जाये. मुम्किन हो तो ऐसे लोगों को मजिल्स ए शूरा का हिस्सा बनाया जाये.

इमारत शरिया की प्रतिष्ठा बनी रहे इसके लिए जरूरी है कि इमारत समाज के प्रति जिम्मेदार हो और उसके अंदर पारदर्शिता हो.

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427