भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ने पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं पार्टी के पूर्व जनरल सेक्रेटरी शकील अहमद (Shakeel Ahmad) का निलंबन तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है।
याद दिला दें की शकील अहमद 2019 लोक सभा चुनाव में पार्टी से बगावत करके मधुबनी से स्वतंत्र प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था। हालांकि चुनाव में वह हार गए थे। भाजपा के अशोक कुमार यादव ने मधुबनी से चुनाव जीता जबकि शकील अहमद तीसरे नंबर पर रहे थे।
कांग्रेस पार्टी ने आज उनका निलंबन रद्द कर दिया है. राजनितिक विश्लेषकों की माने तो बिहार में महागठबंधन खेमे में सीट बटवारे को लेकर घमासान मचा हुआ है। कांग्रेस पार्टी ज़्यादा सीट चाहती है। शकील अहमद कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे है। ऐसे में उनके 2020 बिहार विधान सभा चुनाव लड़ने की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
आल इंडिया कांग्रेस समिति के जनरल सेक्रेटरी मोतीलाल वोहरा द्वारा लिखे खत में बिहार प्रभारी शक्तिसिंह गोहिल (Shaktisinh Gohil) को सम्बोधित करते हुए यह पत्र लिखा गया है जिसमे गोहिल को आगे की कार्यवाई करने को अधिकृत किया गया है।
कांग्रेस ने 5 मई 2019 रविवार को पार्टी के फैसले के खिलाफ बिहार में मधुबनी लोकसभा 2019 निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने के लिए शकील अहमद को पार्टी से निलंबित कर दिया था ।
उनके साथ, बेनीपट्टी विधायक भावना झा को भी पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए कांग्रेस पार्टी से निलंबित कर दिया गया था। बेनीपट्टी भी मधुबनी संसदीय क्षेत्र में ही आता है।
अहमद का जन्म बिहार के मधुबनी के कांग्रेसी परिवार में हुआ था। उनके पिता और उनके दादा स्वर्गीय अहमद गफूर स्वतंत्रता सेनानियों के साथ-साथ कांग्रेस विधायक भी थे। उनके पिता 1952 से पांच बार कांग्रेस के विधायक थे, और उनके दादा 1937 में कांग्रेस के विधायक रहे थे।