देश में बढ़ते साइबर क्राइम के मद्दे नजर केंद्र सरकार के पास वर्तमान में साइबर पुलिस बल का गठन करने की कोई योजना नहीं है. सरकार फिलहाल भारत साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई 4 सी) की स्थापना करने पर कार्य कर रही है. ये जानकारी केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहिर ने मंगलवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी.
नौकरशाही डेस्क
अहिर ने बताया कि आई 4 सी योजना का मुख्य उद्देश्य है – राज्यों व केन्द्रशासित प्रदेशों में कानून लागू करने वाली एजेंसियों के लिए एक राष्ट्रीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र स्थापित करना, ताकि एक प्रभावी उपकरण के रूप में यह देश में साइबर अपराध से जुड़े मामलों को नियंत्रित करने में सहायता प्रदान कर सके.
उन्होंने बताया कि साइबर सुरक्षा और साइबर अपराध से जुड़े मामलों से निपटने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 और भारतीय दंड संहिता, 1860 के रूप में पर्याप्त कानूनी ढांचा मौजूद है. इसके अलावा, उभरती जरूरतों के अनुसार कानून में संशोधन का विकल्प मौजूद है. कानून में संशोधन एक सतत प्रक्रिया है.
इसके अलावा उन्होंने बताया कि संविधान के अनुसार पुलिस तथा कानून व्यवस्था राज्य का विषय है. भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2000 के प्रावधानों के मुताबिक राज्य सरकारें अपनी कानूनी मशीनरी के जरिए साइबर अपराधों की रोकथाम, पहचान और जांच के लिए जिम्मेदार है.
सुरक्षा एजेंसियां वेब और सोशल मीडिया पर लगातार निगरानी रखती है और इसमें डाली जाने वाली किसी भी गैर कानूनी विषय-वस्तु पर रोक लगाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी कानून 2000 के अनुच्छेद 69 के तहत आवश्यक कार्यवाही करते है. इसके अलावा सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2009 के तहत गठित समिति सूचना प्रौद्योगिकी कानून 2000 के तहत जारी निर्देशों के पालन की सावधिक निगरानी करती है. कानून के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए सरकार एक सहयोगी फ्रेमवर्क तैयार करने के लिए सभी पक्षों के साथ नियमित बैठक करती है. 2017 से जून 2018 तक कानून के अनुपालन का वर्षवार स्तर-
फेसबुक | यूट्यूब | ट्वीटर | इंस्टाग्राम | अन्य | |
रोक लगाने के लिए सुझाये गए यूआरएल की संख्या | 1076 | 182 | 728 | 150 | 109 |
ब्लॉक किए गए यूआरएल | 956 | 152 | 409 | 66 | 79 |