विधानसभा चुनाव के पहले देश भर के बुद्धिजीवियों की नजर बिहार पर है और वे इस बात के मंथन में जुटे हैं कि जो गलतियां लोकसभा चुनाव में हुई उसे न दुहराया जाये.

बिहार चुनाव पर नजर, देश भर के बुद्धिजीवियों का पटना में जुटान

विधानसभा चुनाव के पहले देश भर के बुद्धिजीवियों की नजर बिहार पर है और वे इस बात के मंथन में जुटे हैं कि जो गलतियां लोकसभा चुनाव में हुई उसे न दुहराया जाये.

इंडियन नेशनलिस्ट मूवमेंट (Indian Nationalist Movement) ने पटना में इस सिलसिले में एक ब्रेनस्टार्मिंग सेशन का आयोजन किया. इसमें बिहार के विभिन्न जिलों के अलावा तेलंगाना, उत्तरप्रदेश के इंफ्लुएंसर्स ने भाग लिया. इस एक दिवसीय ब्रेन स्टॉर्मिंग सेशन की अध्यक्षता कासिफ युनुस ने की. इस अवसर पर एक सत्र को संबोंधित करते हुए मूवमेंट के अध्यक्ष कृष्णा प्रसाद ने कहा कि हाशिये के नागरिकों द्वारा भाजपा के पक्ष में वोट करने के बढ़ते ट्रेंड की असल जिम्मेदार वामपंथी कार्यकर्ताओं की असफलता है. इस अवसर पर पटना हाई कोर्ट के एडवोकेट अरुण कुशवाहा ने कहा कि एससी, एसटी, ओबीसी, माइनारिटी की हिस्सेदार सवरणों ने छीनी लेकिन हम इस बात को उन वर्गों को समझाने में विफल रहे. इसलिए हमें मजबूती के साथ बहुजनों को समझाने की जरूरत है. एडवोकेट रामेश्वर ठाकुर ने आंकड़ों के साथ समझाया कि कैसे सवर्ण तबका जुडिसियरी, कार्यपालिका, न्यायपालिका और मीडिया पर कब्जा कर चुका है. उनके इस अधिकार को तोड़ना होगा. वहीं दूसरी तरफ शमसुल होदा मदरसा के पूर्व प्रिसिपल मौलाना अबुल कलाम कासमी ने मुसलमानों की देश की आजादी में भूमिका पर रौशनी डाली.

इलाहाबाद युनिवर्सिटी के छात्र नेता पवन अम्बेडकर ने दलित नेतृत्व नाली बिहार की पार्टियों की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि सत्ता लोभ में ये दल साम्प्रदायिक व फासिस्ट ताकतों की गुलामगिरी कर रही हैं.

पहले सत्र को संबोधित करते हुए नौकरशाही डॉट कॉम के सम्पादक इर्शादुल हक (Irshadul Haque) ने देश में मुसलमानों के वोटिंग पैटर्न के विभिन्न पहलुओं का अनालिसिस करते हुए कहा कि यह एक मिथक है कि उलेमा के कहने से मुसलमान वोट करते हैं. उन्होंने कहा कि मुसलमानों के वोटिंग का एक मात्र उद्देश्य नफरत व हिंसा की सियासत को रोकना है.

इससे पहले कासिफ युनूस ने इस आयोजन के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में हाशिये के लोगों, मुसलमानों, पिछडे वर्गों के वोटों को किस तरह एक प्लेटफार्म पर लाया जाये ताकि फासिस्ट ताकतों को सत्ता से दूर रखा जाये.

 

इस अवसर पर विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुडे सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद थे. इनमें नजरे आलम, लेखक राजेंद्र प्रसाद, जौहर, द्यन रॉय, अरविंद चक्रवर्ती, मोहम्मद अहमद हुसैन, एडवोकेट शौकत अली समेत अनेक लोग मौजूद थे.

By Editor


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