देश के वर्तमान हालात में विभिन्न सम्प्रदायों के बीच एकता को मजबूती देने के लिए अंतरधार्मिक समझ विकसित करने की जरूरत है. इसके लिए इंटरफेथ डॉयलाग Interfaith Dialog को बढ़ावा देना जरूरी है.
नौकरशाही ब्यूरो
इंटरफेथ डॉयलाग समाज के विभिन्न समुदायों के बीच मजबूत कड़ी की भूमिका निभाता है. इसके तहत मुस्लिम, हिंदू, सिख, ईसाई समेत विभिन्न सम्प्रदायों के विषेषज्ञों और आम लोगों को एक साथ, एक मंच पर आने की जरूरत है. इंटरफेथ डॉयलाग की परम्परा जितनी पुरानी है उतनी ही कारगर भी है. इंटरफेथ डॉयलाग जहां अंतरराष्ट्री, राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होते रहते हैं वहीं स्थानीय सतह पर भी ये काफी महत्वपूर्ण हैं. विभिन्न सांस्कृतिक और सामाजिक आयोजनों के अवसरों पर कई बार देखा जाता है कि समाज के विभिन्न समुदायों के बीच मनमुटाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. ऐसे में सामाजिक और प्रशासनिक स्तर पर विभिन्न समुदायों के प्रतिनिधियों के बीच साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए बैठकें आयोजित की जाती हैं. ऐसे आयोजन काफी कारगर सिद्ध होते हैं.
भारत की मिलीजुली समृद्ध संस्कृति पुरी दुनिया में एक नजीर है, जहां विभिन्न धर्मों, भाषाओं, संस्कृतियों और नस्लों के लोग सदियों से एक साथ रहते हैं. दुनिया के अन्य देशों में ऐसी विविधता नहीं दिखती, जैसी भारत में मौजूद है. ऐसे में सभी समुदायों की यह सामुहिक जिम्मेदारी है कि वे आपस में मिल कर इस परम्परा को और भी मजबूत बनायें. दुनिया का हर मजहब अलग-अलग तरह से आपसी भाईचारे और सद्भावना की सीख देता है. ऐसे में यह और महत्वपूर्ण हो जाता है कि विभिन्न मजहबों के रहनुमा एक साथ, एक मंच पर बैठें और साम्प्रदायिक सद्भावना को प्रगाढ़ बनाने की पहल करें. इसके लिए विभिन्न मजहबी संगठनों को पहल करनी चाहिए.
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बिहार में अनेक मुस्लिम मजहबी संगठन हैं जिन्हें इस तरह की पहल करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है. इनमें इमारत शरिया, इदारा शरिया, जमायत इस्लामी, जमीअत उलमा ए हिंद, अलग अलग खान्काहें और मदरसों व शैक्षिक संस्थानों की अहम भूमिका हो सकती है. बिहार में ऐसे संगठनों ने अनेक बार इस तरह के उदाहरण पेश कर चुके हैं. कोई डेढ़ वर्ष पहले सिख समुदाय ने 350वां प्रकाश पर्व का आयोजन पटना में किया था. यह एक अंतरराष्ट्रीय आयोजन था. जहां राज्य सरकार ने इस आयोजन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया वहीं विभिन्न गैर सिख धार्मिक संगठनों ने भी देश-विदेश से आये हजारों श्रद्धालुओं की मेहमाननवाजी की अद्भुत मिसाल पेश की. क्या हिंदू, क्या मुसलमान सभी धर्मों के प्रतिनिधियों ने अपने तमाम संसाधन इस आयोजन को शांतिपूर्वक सम्पन्न करने में झोक दिया. यह इसलिए संभव हो सका कि इस आयोजन के पहले इंटरफेथ डॉयलाग का आयोजन किया गया.
इस आयोजन की सफलता में बिहार के तमाम मजहबी संगठनों का सर गर्व से ऊंचा कर दिया. इस आयोजन ने इंटरफेथ डॉयलाग के महत्व को रेखांकित किया. ऐसे में यह जरूरी है कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर के अलावा स्थानीय स्तर पर अंतरधार्मिक वार्ता को बढ़ावा दिया जाये. इसके लिए समाज के विभिन्न समुदायों के बुद्धिजीवियों, संगठनों और संस्थानों को आगे आने की जरूरत है.