कटिहार में अपनी विदाई समारोह में हवाई फायरिंग करनेवाले सिद्धार्थ औरंगाबाद में रहते हुए भी गोली चलाने के मामले के आरोपी हैं. इससे पहले उन्होंने एक अधिकारी पर गोली दाग दी थी। संयोग रहा कि वो बच गया, लेकिन उनके फायरिंग के चर्चे आज भी होते हैं।
पटना । पुलिस कम्युनिटिंग के माध्यम से पुलिस और जनता के बीच के रिश्ते को भरोसेमंद और मजबूत बनानेवाले सिद्धार्थ मोहन जैन जोश में आकर होश खोते रहे हैं। एसपी सिद्धार्थ पर गैरकानूनी तरीके से फायरिंग करने के और भी मामले हैं। काफी तेज तर्रार स्वभाव के सिद्धार्थ ने 2012 में बतौर औरंगावाद एसपी पथ निर्माण विभाग के एक अधिकारी पर गोली दाग दिया था। संयोग से पिस्टल की अधिकारी नैयैर का दाहिना कान से सट कर निकल गया और वो बच गया। औरंगावाद में अधिकारी पर गोली दागनेवाले एसपी सिद्धार्थ कटिहार में हवा में गोली दाग कर विवादों में घिर गये हैं।
2006 बैच के आईपीएस ऑफिसर सिद्धार्थ मोहन जैन आगरा के रहने वाले हैं। इलाहाबाद के मोनरीबा विश्वविद्यालय से मैनेजमेंट में पीएचडी करने के बाद सिद्धार्थ माता पिता की इच्छा अनुसार सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में जुट गये। पढऩे में हमेशा अव्वल रहे सिद्धार्थ परीक्षा में सफल रहे और बिहार कैडर के आईपीएस ऑफिसर बने।
अपने उत्कृष्ट सेवा के लिए सिद्धार्थ मोहन को डीजीपी से एवम अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से कई बार प्रशस्ति पत्र मिल चुका है। वर्ष 2014 में भारत सरकार द्वारा सिद्धार्थ मोहन जैन को आंतरिक सुरक्षा पदक से सम्मानित किया गया।
मुजफ्फरपुर में बतौर प्रशिक्षु अपना कॅरियर शुरु करनेवाले सिद्धार्थ पिछले साल ही कटिहार में बाढ़ ग्रस्त इलाके के लोगों के लिए बतौर पुलिस कप्तान स्वयं सिद्धार्थ मोहन जैन तथा अन्य पुलिस पदाधिकारियों और जवानों ने अपना एक दिन का वेतन मदद के तौर पर दिया था।
इससे पहले भी पटना (सिटी) के एसपी रहते हुए काफी तेज तर्रार स्वभाव के सिद्धार्थ को नक्स्लवाद से बुरी तरह प्रभावित बगहा के एसपी बनें। पदभार ग्रहण करने के साथ ही नक्सलियों के खिलाफ तेज कार्यवाही करते हुए सिद्धार्थ ने नक्स्लियों के खेमे में खौफ पैदा कर दी। काफी हद तक नक्सली गतिविधियां कम हो गयी। बगहा के बाद वैशाली, औरंगाबाद, बक्सर और नालंदा के एसपी के तौर पर अपनी रणनीति और कार्यवाही से अपराधियों के हौसले पस्त कर दिये। वर्तमान में सिद्धार्थ मोहन कटिहार के एसपी थे। उन्हे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर सीबीआई में योगदान करना था।