फैसल सुल्तान, बहरैन से
आज का दिन इजराइल के लिए शायद सबसे बड़ा और कठिन दिन साबित हुआ, जबकि अमेरिका के लिए यह एक अप्रत्याशित बेईज्जती का दिन बन गया। इजराइल ने दावा किया कि उसने ईरान पर एक बड़ा हमला किया है, जिसमें उनके 100 से अधिक फाइटर जेट्स, जिनमें अत्याधुनिक F-35 और F-22 शामिल हैं, ईरानी सीमा में घुसे और बमबारी की। इजराइली जेट्स वापस भी लौट आए, लेकिन जो खुलासा हुआ है, उसने दुनिया के सामने एक नई कहानी रख दी है।
ईरान का मजबूत बचाव, रूस की सराहनीय भूमिका
ईरान ने घोषणा की है कि उनके वायु रक्षा तंत्र ने इजराइली हमले को पूरी तरह नाकाम कर दिया है। ईरानी अधिकारियों ने दावा किया कि इजराइल का कोई भी फाइटर जेट उनकी सीमा में दाखिल नहीं हो सका, और उन्होंने इजराइल के सभी मिसाइल हमलों को रोक दिया। ईरान का कहना है कि उनके पास सभी मिसाइल इंटरसेप्ट करने की क्षमता है, और उनके एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम ने 100 प्रतिशत सफलतापूर्वक हमला विफल कर दिया।
रूसी S-400 प्रणाली ने बनाई दीवार
सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि इस हमले को रोकने में रूस का महत्वपूर्ण योगदान रहा। रूस की S-400 मिसाइल डिफेंस प्रणाली ने ईरान के बचाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जानकारी के अनुसार, रूस के विशेषज्ञ और इंजीनियर ईरान में मौजूद थे और वे S-400 के संचालन में सहायता कर रहे थे। कई S-400 साइट्स पर सक्रिय रहे, जिनमें रूसी तकनीशियन इजराइल के हमले को विफल बनाने में जुटे रहे। S-400 सिस्टम की ताकत ने इजराइल को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।
अमेरिका और इजराइल की कूटनीतिक झटके की प्रतिक्रिया
इस असफल हमले के बाद, अमेरिकी जनरलों ने इजराइल पर कड़ी आलोचना की है, जिसमें इजराइल के रणनीतिक कदमों को लेकर नाराजगी जताई गई है। उनका मानना है कि यह हमला न केवल असफल रहा बल्कि इससे अमेरिका की प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचा है। अमेरिकी अधिकारियों ने इजराइल पर बेइज्जती कराने और वर्षों की मेहनत पर पानी फेरने का आरोप लगाया है।
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इस घटना से साफ संकेत मिलता है कि मध्य-पूर्व की स्थिति और भी संवेदनशील हो गई है। ईरान ने इस सफलता के साथ दिखा दिया है कि उसके पास न केवल अपने आप को सुरक्षित रखने की शक्ति है बल्कि वह रूस जैसे शक्तिशाली सहयोगी से भी मदद ले रहा है।
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