क्या बीजेपी की शह पर चिराग नीतीश को हड़का रहे है ?
शाहबाज़ की इनसाइड पोलिटिकल स्टोरी
बीजेपी पहले ही कह चुकी है कि बिहार में कोई दल अकेले सरकार नहीं बना सकता. बिहार में बीजेपी का स्ट्राइक रेट अच्छा है. इसलिए वह बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का असर कम करना चाहती है. लेकिन अगर नीतीश कुमार की जदयू सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरती है तो भाजपा ऐसा नहीं कर पायेगी। चिराग की प्रेशर पॉलिटिक्स से बीजेपी को फायदा मिलेगा।
लोक जन शक्ति पार्टी 2010 से पीछे हटने को तैयार नहीं दिख रहे. 2010 बिहार विधान सभा चुनाव में पार्टी 42 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. हाल ही में मांझी NDA में शामिल हो चुके है. ऐसे में लोजपा की चिंता बढ़ गयी है.
हाल ही में जदयू के प्रधान महासचिव के सी त्यागी ने कहा था कि “हमें भाजपा के साथ सभी मुद्दों पर सही समझ है, चाहे वह सीट-बंटवारा हो, चुनाव प्रचार हो या नेतृत्व। वास्तव में, भाजपा के साथ हमारे संबंध 15 साल से अधिक पुराने हैं। लेकिन हमने लोकसभा चुनावों को छोड़कर कभी भी लोजपा के साथ विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा। हमारा लोजपा के साथ बिहार में कोई गठबंधन नहीं है “. लोजपा के साथ काम करने का कोई अनुभव नहीं है,”
जदूय से अलग होने का जोखिम क्यों उठाना चाहते हैं चिराग?
NDA सूत्रों के अनुसार लोजपा 42 सीटों से कम पर चुनाव नहीं लड़ना चाहती। लेकिन मांझी के NDA में शामिल हो जाने से वह मुश्किल स्थिति में है.
वही लोक जन शक्ति पार्टी (LJP) ने 7 सितम्बर को होने वाली कोर समिति की बैठक से पहले विधानसभा चुनाव के लिए सरगर्मी तेज़ कर दी है. लोजपा ने नया विज्ञापन निकला है जिसमें कहा कि नया बिहार और युवा बिहार बनाने के लिए सभी बिहारी भाइयों बहनो को युवा बिहारी चिराग पासवान के साथ चलना होगा. यही समय है जब बिहार के अस्मिता की लड़ाई सभी बिहारी को लड़नी होगी, ताकि हम सब बिहार पर नाज़ कर सके. पार्टी के सूत्र मांझी के NDA में शामिल होने को नीतीश कुमार की चल बता रहे है.
हाल के दिनों में चिराग पासवान ने बिहार चुनाव को टालने को लेकर कहा था. उस से पहले स्वच्छता सर्वेक्षण में बिहार के ख़राब प्रदर्शन पर टिपण्णी की थी. जिसके बाद जदयू और लोजपा में तल्खी बढ़ी थी. हाल ही में NDA में शामिल हुए HAM अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने पाला बदलते ही चिराग को निशाने पर ले लिया और कहा कि “जो भी सीएम नीतीश के विरोध में खड़ा होगा उसके जवाब में मैं खड़ा हो जाऊंगा”.
जानकार का मानना है की भाजपा को लोजपा-जदयू तल्खी से सीधे तौर पर फायदा मिलेगा। भाजपा भी बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का असर काम करना चाहती है. ऐसे में लोजपा की वजह्कर जदयू की सीटें कुछ कम हुई तो इससे जदयू को बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बनने में दिक्कत आ सकती है.
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