क्या नीतीश स्वयं सीएम पद की रेस से आउट हो गए हैं ?
शाहबाज़ की विशेष रिपोर्ट.
बिहार चुनाव के बाद जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार पहली बार सामने आये और उन्होंने साफ़ कर दिया कि उन्होंने मुख्यमंत्री पद पर कोई दावा नहीं किया है फैसला एनडीए को करना है.
गुरुवार को नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने प्रेस कांफ्रेंस कर मीडिया से मुलाकात की. उन्होंने मुख्यमंत्री पद को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में साफ़ कर दिया कि “हमने कोई दावा नहीं किया. इसपर फैसला एनडीए को करना है. अभी कहाँ कुछ हुआ है कल बताएँगे”.
नीतीश कुमार के इस बयान का अर्थ निकाला जा रहा है कि नीतीश कुमार स्वयं ही मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर हो गए हैं. ख़बरों में भी बताया जा रहा है कि नीतीश अपनी पार्टी के ख़राब प्रदर्शन (जदयू सिर्फ 43 सीट जीत पाई और तीसरे नंबर पर रही जबकि भाजपा 74 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी) से आहत हैं और फिर से मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते. हालाँकि बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साफ़ कर दिया था कि नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बनेंगे.
बिहार में सरकार के गठन को लेकर हलचल तेज़ हो गयी है. जहाँ एक तरफ तेजस्वी यादव महागठबंधन के नेता चुने जा चुके हैं. उन्होंने सरकार बनाने का दावा भी ठोक दिया है. तेजस्वी ने कहा कि “महागठबंधन की ही सरकार बनेगी. जनता का जनादेश बदलाव के लिए है”. महागठबंधन को 110 सीटें मिली हैं अतः 12 विधायकों के समर्थन से वह सरकार बनाने का दावा कर सकते हैं (बहुमत का आंकड़ा 122 है). उन्होंने महागठबंधन के सभी विधायकों को पटना में ही रहने के लिए भी कहा है.
जबकि एनडीए के विधायक दल की बैठक शुक्रवार को होगी जिसमें विधायक दल के नेता को सभी नवनिर्वाचित विधायकों के द्वारा चुना जायेगा. नीतीश कुमार ने सरकार के गठन के सवाल पर कहा कि कि ये अभी नहीं तय हुआ है. उन्होंने कहा कि कल एनडीए के चारों घटक दलों के लोग मिलेंगे जिसमे फैसला होगा.
आपको बता दें कि एनडीए गठबंधन ने नीतीश कुमार के चेहरे के साथ एवं उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ा था और बीजेपी ने कहा था कि अगर बीजेपी ज्यादा सीटें लाती है तब भी नीतीश ही मुख्यमंत्री बनेंगे. बिहार चुनाव के नतीजे आने के बाद भी भाजपा के कई नेताओं ने नीतीश को ही मुख्यमंत्री बनाने की बात कही थी.
जदयू प्रवक्ता के सी त्यागी ने भी एक इंटरव्यू में कहा था कि “नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला एनडीए का था ना कि जदयू का इसलिए मुख्यमंत्री वही बनेंगे”.
हालाँकि आज बिहार विधानसभा अध्यक्ष पद को लेकर एनडीए के दो प्रमुख दल बीजेपी एवं जदयू के बीच तनातनी की खबर भी आई. बीजेपी ने इस पद पर दावा ठोका जबकि जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार इसे अपनी पार्टी के लिए सुरक्षित रखना चाहते हैं. बता दें कि 2005 से लेकर 2020 तक विधानसभा अध्यक्ष का पद जदयू के पास रहा. जदयू ने विजय नारायण चौधरी को फिर से विधानसभा स्पीकर बनाने की बात कही है.
लेकिन बीजेपी जो 74 सीटें जीतकर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है, ने विधानसभा अध्यक्ष पद पर दावा ठोका है. चुनाव में किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत न मिलने पर स्पीकर का पद अहम् हो जाता है. दल-बदल के खेल में यह पद और भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्यूंकि अध्यक्ष का फैसला अंतिम होता है. इसलिए इस पद पर दावा ठोंकने के लिए बीजेपी के पास भी वही कारण है जो जदयू के पास है.
संवादाता सम्मलेन में यह पूछे जाने पर कि क्या यह उनका अंतिम चुनाव है ? नीतीश कुमार अपने बयान से भी पलट गए. उन्होंने कहा “आप लोग ठीक से नहीं देखे हैं. हम हर चुनाव के अंत में बोलते हैं अंत भला तो सब भला”.
मुख्यमंत्री के सवाल पर विश्लेषकों की राय भी विभिन्न है. कुछ विश्लेषक मानते हैं कि नीतीश ने आज स्वयं को CM रेस से बाहर कर लिया है. वहीँ कुछ लोगों की राय इसके विपरीत है, वह कहते हैं कि नीतीश बिहार में भाजपा की मजबूरी हैं इसलिए मुख्यमंत्री वही बनेंगे.
हालाँकि यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा के कार्यकर्ता नीतीश कुमार को फिर से मुख्यमंत्री बनाने पर सहमत नहीं है. भाजपा के अश्विनी चौबे ने भी कहा था कि नीतीश चाहें तो केंद्र में मंत्री बन सकते हैं. भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व भी बिहार में मुख्यमंत्री को लेकर उहापोह की स्थिति से वाकिफ है लेकिन अभी इसपर अंतिम फैसला होना बाकी है.