पैगम्बर मोहम्मद साहब ने फरमाया कि अल्लाह ने मर्दों और औरतों को बनाया ताकि तुम उनके साथ रह सको और उनसे सुकून हासिल कर सको और अल्लाह ने एक दूसरे के प्रति दयाभाव और प्रेम को उनके दिलों में जगह दी .
कुरान में कहा गया है कि ऐ ईमान वालों उनके (औरतों) के साथ दया और बराबरी का सुलूक करो. कुरान की इस आयत से यह स्पष्ट है कि महिलाओं का एहतराम करना, उनके आत्मसम्मान की रक्षा करना हर किसी का कर्तव्य है. जबकि उनके साथ लींगभेद करना, उनका शोषण करना, उनके साथ शारीरिक, मानसिक या सामाजिक प्रताड़ना या बलात्कार करना जघन्य अपराध है.
महिलाओ के खिलाफ अपराध की सजा
ऐसे में हर किसी को यह सुनिश्चित करना होगा कि महिलाओं के साथ किसी भी तरह के अपराध की सजा इतनी सख्त है कि कोई व्यक्ति ऐसे अपराध करने से पहले बारबार सोचे कि वह बख्शा नहीं जायेगा.
यह बात हर किसी के लिए अनिवार्य है कि महिलाओं के हक और उनके सम्मान के लिए हर किसी को हमेशा खड़ा रहना चाहिए और उनके खिलाफ होने वाले किसी भी अत्याचार के खिलाफ हमेशा मुस्तैद रहना होगा.
इस्लाम ने बार- बार इस बात पर जोर दिया है कि महिलाओं के सम्मान, उनके स्वाभिमान और उनका आदर किया जाये और उनके साथ प्रेम और सम्मान के साथ व्यवहार किया जाये. हमें यह समझना होगा कि समाज के निर्माण में महिलायें बाराबर की भागीदार हैं और ये महिलायें ही हैं जो आने वाली नस्लों को पूरी जवाबदेही से संवारती हैं.