quran quoteआतंकवादी कार्यवाहियों से मोमिन की जानों को तलफ करने वालों का ठिकाना जहन्नुम है. उनका सामना अल्लाह से होने वाला है.और क्यामत तक उनके ऊपर अल्लाह की लानत है.

आतंकवादी कार्यवाहियों से मोमिन की जानों को तलफ करने वालों का ठिकाना जहन्नुम है. उनका सामना अल्लाह से होने वाला है.और क्यामत तक उनके ऊपर अल्लाह की लानत है.

आतंकवादी कार्यवाहियों से मोमिन की जानों को तलफ करने वालों का ठिकाना जहन्नुम है. उनका सामना अल्लाह से होने वाला है.और क्यामत तक उनके ऊपर अल्लाह की लानत है.

जिहाद के नाम पर आतंकवाद का जो रुख दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में प्रसारित है.इसके कारणों का विश्लेषण करने से यह पता चलता है कि जिहाद के शिकार होने वाले युवा एक खास तरह की मानसिकता का शिकार होते हैं जो खास तौर पर इस्लाम और मुस्लिम भाइयों के लिए अपमान का कारण बनते हैं.

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मुस्लिम युवकों को यह बताना चाहिए कि गुनाह से निजात का सीधा रास्ता अल्लाह की बारगाह में तौबा करने से रजू है.

आतंकवादी कार्यवाहियों से मोमिन की जानों को तलफ करने वालों का ठिकाना जहन्नुम है. उनका सामना अल्लाह से होने वाला है.और क्यामत तक उनके ऊपर अल्लाह की लानत है. किसी मोमिन को जान बूझ कर मारने की सजा जहन्नुम है.

इसलिए बेगुनाह इंसानों का खून बहाने के लिए तरह तरह का तर्क देने वाले और आत्मघाती हमलों की वकालत करने वाले नुमाइंदों को यह याद रखना चाहिए कि इस तरह की गतिविधियां अल्लाह के द्वारा निश्चित किये गये दायरे के विपरीत है. और जो अल्लाह के दायरे की अवहेलना करते हैं उन्हें सजा देना अल्लाह के लिए कोई कठिन कार्य नहीं है.

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आतंकवादी कार्यवाहियों में लिप्त युवक बेगुनाहों के कत्ल को जो चाहें नाम दें अल्लाह के अजाब से निजात नहीं पा सकते.

और जो शख्स मोमिन को जानबूझ कर मार डाले ( गुलाम की आजादी का उसका कुफराना मुम्किन नहीं बल्कि) उसकी सजा दौजख है और वह उसमें हमेशा रहेगा. उस पर खुदा ने अपना गजब ढ़ाया है और उस पर लानत की है और उसके लिए बड़ा सख्त अजाब तैयर कर रखा है.( 4:99)

इस्लाम में आत्महत्या हराम है और किसी भी सूरत में इसकी इजाजत नहीं देता. खुदा की राह में खर्च करो और अपनी जान हलाकत में न डालो और नेकी करो. बेशक अल्लाह नेकी करने वालों को अपना दोस्त रखता है.

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इसलिए बेगुनाह इंसानों का खून बहाने के लिए तरह तरह का तर्क देने वाले और आत्मघाती हमलों की वकालत करने वाले नुमाइंदों को यह याद रखना चाहिए कि इस तरह की गतिविधियां अल्लाह के द्वारा निश्चित किये गये दायरे के विपरीत है. और जो अल्लाह के दायरे की अवहेलना करते हैं उन्हें सजा देना अल्लाह के लिए कोई कठिन कार्य नहीं है.

 

 

By Editor


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