इस्तीफा की घोषणा करके खुद मजाक बन गए तेजप्रताप
तेज प्रताप ने पार्टी से इस्तीफा देने की घोषणा की है। इसे कहते हैं अपने पैर में कुल्हाड़ी मारना। पार्टी का नुकसान तो अब होने से रहा, खुद मजाक जरूर बन गए।
लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने राजद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी है। नौकरशाही डॉट कॉम को एक भी ऐसा राजनीतिक कार्यकर्ता नहीं मिला, जिसने तेज प्रताप की बात को गंभीरता से लिया हो। लोगों की नजर में तेज प्रताप अब मजाक बन कर रह गए हैं। एक दौर था, जब सुशील मोदी तेज प्रताप के प्रति सहानुभूति जताते हुए राजद पर हमला करते थे, इस बार तो सुशील मोदी ने भी तेज प्रताप को कोई नोटिस नहीं लिया।
यूपी में अखिलेश यादव को उनके चाचा शिवपाल यादव ने 2012 में बहुत नुकसान पहुंचाया था। इसकी वजह थी। शिवपाल यादव की संगठन पर पकड़ थी। हर जिले में ऐसे लोग थे, जो शिवपाल के कहने पर चलने को तैयार थे। बिहार में स्थिति भिन्न है। यहां राजद में अब तेजस्वी यादव सर्वसम्मति से नेता हैं। यह साधारण सी बात, जिसे अब पूरा राजद और राजद के विरोधी दल भी मान चुके हैं, उसे तेज प्रताप समझ नहीं पा रहे हैं।
एक दौर था, जब भाजपा के सुशील मोदी तेज प्रताप के साथ खड़े दिखते थे। पिछले साल जब तेज प्रताप ने आरोप लगाया कि लालू प्रसाद को बंधक बना लिया गया है, तो सुशील मोदी खुल कर तेज प्रताप के साथ आ गए थे। इससे तेज प्रताप को भर्म हुआ होगा कि वे बिहार की राजनीति में उथल-पुथल ला सकते हैं। इस बार तो मोदी ने भी तेज प्रताप का नोटिस नहीं लिया। वे भी समझ गए कि तेज प्रताप में कितना दम है। अब तो हालत यह है कि तेज प्रताप के पक्ष में राजद का कोई नेता तो नहीं ही है, विपक्ष ने भी मजाक ही मान लिया है।
इस बार तेज प्रताप ने इस्तीफा देने की घोषणा तब की, जब युवा राजद के नगर अध्यक्ष रामराज यादव ने तेज प्रताप पर नंगा कर पीटने का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने वीडियो जारी करके कहा कि 22 अप्रैल को तेजस्वी के इफ्तार पार्टी के दौरान राबड़ी आवास में तेज प्रताप यादव ने कमरे में बंद कर उन्हें बुरी तरह पीटा।
तेज प्रताप की धमकी के बाद अभी तक किसी ने उन्हें मनाने की कोई कोशिश नहीं की है। शायद कोई कोशिश करे भी नहीं। तब क्या करेंगे तेज प्रताप। वे इस्तीफा देंगे, तो कहीं के नहीं रहेंगे और नहीं देते हैं, तो खुद को हल्का और मजाक का पात्र ही बनाएंगे।
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