जब जेल से घर आएंगे लालू, तो नहीं मिलेगा शिकायत का मौका

राजद प्रमुख लालू प्रसाद को बेल मिल गई है। वे अब जेल से बाहर आएंगे। जब वे घर आएंगे, तो उन्हें शिकायत का मौका नहीं मिलेगा। अपना ‘घर-परिवार’ सजा संवरा मिलेगा।

कुमार अनिल

पहले अमूमन तीन ही तरह के लोग यात्रा पर जाते थे-साधु, व्यापारी और राजा। वापस घर लौटने पर कई बार उन्हें अपने वारिसों से ढेरों शिकायत होती थी। साधु के चेलों ने मठ की देखभाल ठीक से नहीं की, व्यापारी के बेटे ने व्यापर डुबो दिया और राजा के बेटों से प्रजा नाराज मिली। ऐसे अवसरों पर यात्रा से लौटनेवाले दुखी होते थे।

नए युग में भी पिता लंबे समय के लिए बाहर जाते हैं। जब वे घर वापस आते हैं, तो अगर बेटे ने घर को संभाल कर रखा है, तो संतुष्ट होते हैं और नहीं, तो असंतुष्ट।

लालू प्रसाद भी लंबे अंतराल के बाद घर वापस आएंगे, लेकिन उन्हें शिकायत का मौका नहीं मिलेगा, बल्कि वे अपना ‘घर-परिवार’ सजा-संवरा देखकर खुश होंगे। यहां घर परिवार से मतलब राजद परिवार से है।

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लालू जब लौटेंगे, तो देखेंगे कि उनके बेटे तेजस्वी ने ‘घर-परिवार’ यानी राजद परिवार को विरोधियों के तमाम हमलों के बावजूद न सिर्फ सुरक्षित रखा है, बल्कि उसमें विकास और विस्तार ही किया है। पिछले विधानसभा चुनाव में अकेले दम पर तेजस्वी ने राजद को प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी बनाया, महागठबंधन का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया और कर रहे हैं।

लालू प्रसाद को शायद सबसे ज्यादा खुशी इस बात की होगी कि उनके बेटे तेजस्वी ने राजद की सत्ता में पुनर्वापसी का एक रोडमैप भी बनाया है, जिस पर वे संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

कुछ राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि लालू प्रसाद जेल से आने के बाद एनडीए में तोड़-फोड़ करेंगे। वर्तमान सरकार को अस्थिर करेंगे। लेकिन तेजस्वी ने जो रोडमैप बनाया है, उसमें शायद इसकी जरूरत ही न पड़े। वे तो फ्रंटफुट पर खेलना पसंद करते हैं। इसीलिए रोजगार, अपराध, भष्टाचार, महामारी और स्वास्थ्य व्यवस्था कोई भी मुद्दा हो, वे सामने से सत्ता को घेर रहे हैं।

लालू प्रसाद को इस बात से भी खुशी होगी कि बिहार में सत्ता में भले ही एनडीए हो, पर एजेंडा तेजस्वी और राजद तय कर रहा है। यह उनकी परिपक्वता का परिणाम है। लालू प्रसाद के बेल मिलने पर भी राजद का पहला बयान उसकी परिपक्वता दिखाता है कि उत्साह में सड़क पर जुलूस न निकालें। कोविड की गाइडलाइन का पालन करें।

लालू इस बात से भी खुश होंगे कि सांप्रदायिकता के सामने कभी न झुकने की उनकी राजनीति को तेजस्वी ने और भी मजबूत ही किया है। बंगाल से असम तक के चुनावों में राजद की इस लालू-पहचान को तेजस्वी ने मजबूत किया है। इस तरह जेल से घर आकर लालू संतुष्ट पिता की तरह खुश रह सकेंगे।

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