जब तेजस्वी सवाल उठाते हैं, तभी सक्रिय होती है सरकार : राजद
प्रश्नपत्र लीक का मामला हो या मधुबनी जनसंहार, सरकार तभी सक्रिय होती है, जब तेजस्वी सवाल उठाते हैं। मुख्यमंत्री पूरी तरह थक चुके हैं और सरकार दिन काट रही है।
राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने जदयू प्रवक्ताओं को ” जाहिलों की जमात ” बताते हुए कहा है कि वे क्या बोलते हैं, इसे वे खुद भी नहीं समझते। झूठ बोलना, गलत तथ्यों को पेश करना और अमर्यादित भाषा का प्रयोग करना इनके चरित्र की विशेष पहचान है।
हर क्षेत्र में नाकामियों की वजह से सरकार के खिलाफ बढते जनाक्रोश और नाराजगी के साथ ही नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव की बढ़ती लोकप्रियता को ये पचा नहीं पा रहे हैं। और इसी वजह से तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करना इनकी मजबूरी हो गई है।
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राजद प्रवक्ता ने कहा कि सरकार किसी घटना की नोटिस तब लेती है जब तेजस्वी यादव उसे उठाते हैं वरना सरकार द्वारा हर घटना को दबाने का हीं प्रयास किया जाता है। मधुबनी जनसंहार को लेकर तेजस्वी यादव यदि मुखर नहीं होते तो आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होती। चूंकि सरकार के मंत्री और सत्ता पक्ष के विधायक का उन्हें संरक्षण प्राप्त है।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि आज तक सरकार अथवा जदयू का कोई आधिकारिक प्रतिनिधि प्रभावित परिवार से मिलने तक नहीं गया है। जदयू के मुख्य प्रवक्ता जो जाने की बात कह रहे हैं, वह गलत है। वे एक जाति विशेष के प्रतिनिधियों के साथ गये थे जिसमें कई ऐसे लोग भी शामिल थे जो जदयू में नहीं हैं या जदयू से बहुत पहले अलग हो चुके हैं। संजय सिंह उस ग्रुप के साथ गये थे जो इस घटना को जातीय रूप देना चाह रहे थे। सरकार के एक मंत्री भी अपने निजी हैसियत से गये थे जिन्होंने घटना को नरसंहार बताते हुए पुलिस निष्क्रियता पर सवाल उठाया था।
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राजद प्रवक्ता ने कहा कि जदयू प्रवक्ताओं को इतिहास उलटने के पहले इतिहास को ठीक से पढ़ लेना चाहिए था। बिहार में नरसंहार के दौर की शुरूआत 1976 में अकौडी ( भोजपुर ) और 1977 में बेलछी से शुरू हुई थी। विरासत में मिली नरसंहारों के दौर को राजद शासनकाल में नियंत्रित किया गया। और बिहार में नरसंहारों का दौर रुक गया।
राजद प्रवक्ता ने जदयू नेताओं को चुनौती देते हुए कहा कि राबड़ी जी के मुख्यमंत्रित्व काल ( 2000 – 2005 ) में नरसंहार का एक भी उदाहरण बता दें। और उनके द्वारा राजद शासनकाल में हुए जनसंहारों की जो संख्या बतायी गयी है उसकी सूची जारी कर दें। सच्चाई यह है कि राबडी जी ने नीतीश जी को नरसंहार मुक्त बिहार सौंपा था पर इनके मुख्यमंत्री बनने के कुछ महीने बाद ही 10 अक्तूबर, 2007 में खगड़िया के अलौली में एक बड़ा नरसंहार हुआ जिसमें एक दर्जन से ज्यादा लोगों की हत्या कर दी गई थी।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि जदयू प्रवक्ता जब इतिहास पढ लेंगे तो उन्हें यह भी जानकारी मिल जायेगी कि मियांपुर, बारा, शंकर बिगहा, लक्षमणपुर बाथे में हुए नरसंहारों के सजायाफ्ता अभियुक्तों को किसकी सरकार में रिहा कर दिया गया। इतिहास में उन्हें यह भी जानकारी मिल जायेगी कि नरसंहारों की जांच के लिए बनाये गये ” अमीर दास आयोग ” को किसने भंग किया।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि राज्य में हर छोटी-बड़ी घटना में तेजस्वी यादव खुद जाते हैं या पार्टी का प्रतिनिधिमंडल जाता है। पर जदयू नेताओं को यदि शर्म बची हो तो उन्हें बताना चाहिए कि सरकार अथवा जदयू का प्रतिनिधि अबतक राज्य में मारे गए किन-किन लोगों के परिजनों से मिला अथवा उन्हें किसी प्रकार की मदद की। अथवा संवेदना के ही दो शब्द प्रकट किये हों तो बता दें।