मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अस्वस्थ हैं और प्रशासन उनके कंट्रोल से बाहर हो गया है। जहरीली शराब से मरने वालों की संख्या बढ़ कर 36 हो चुकी है। कई लोगों की आंखों की रोशनी खत्म हो गई है। कई लोगों का लीवर फेल हो गया है। मरनेवालों की संख्या और भी बढ़ेगी। भाजपा हिंदू जगाने में लगी है और जदयू में सन्नाटा है। दोनों दलों ने अफसोस तक नहीं जताया है। 20 साल से मुख्यमंत्री हैं नीतीश कुमार, लेकिन अपराध होने पर लालू यादव को जिम्मेदार बताने वाले भी खामोश हो गए हैं। मिल रही जानकारी के अनुसार जहरीली शराब से अब तक सीवान में 20 तथा सारण में 12 लोगों की मौत हो चुकी है।
विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि सत्ता संरक्षण में ज़हरीली शराब के कारण 27 लोगों की हत्या कर दी गयी है। दर्जनों की आँखों की रोशनी चली गयी। बिहार में कथित शराबबंदी है लेकिन सत्ताधारी नेताओं-पुलिस और माफिया के गठजोड़ के कारण हर चौक-चौराहों पर शराब उपलब्ध है।
इतने लोग मारे गए लेकिन मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने शोक-संवेदना तक व्यक्त नहीं की। जहरीली शराब से, अपराध से प्रतिदिन सैकड़ों बिहारवासी मारे जाते है लेकिन अनैतिक और सिद्धांतहीन राजनीति के पुरोधा मा॰ मुख्यमंत्री और उनकी किचन कैबिनेट के लिए यह सामान्य बात है।
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बिहार के कांग्रेस सांसद को जान से मारने की धमकी
कितने भी लोग मारे जाए लेकिन मजाल है किसी वरीय अधिकारी पर कोई कारवाई हो? इसके विपरीत उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा? अगर शराबबंदी के बावजूद हर चौक-चौराहे व नुक्कड़ पर शराब उपलब्ध है तो क्या यह गृह विभाग और मुख्यमंत्री की विफलता नहीं है? क्या मुख्यमंत्री जी होशमंद है? क्या CM ऐसी घटनाओं पर एक्शन लेने व सोचने में सक्षम और समर्थ है? इन हत्याओं का दोषी कौन?
कांग्रेस सहित सभी वाम दलों ने जहरीली शराब से लगातार हो रही मौत पर चिंता जताई है।
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