जय हो, सरकार ने ‘मुफ्तखोरी’ बंद की, गैस पर सब्सिडी खत्म
आपको याद होगा, जेएनयू के छात्र फीस वृद्धि के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे, तो भाजपा समर्थक कितने नाराज थे। अब खुश होईए, रसोई गैस से सब्सिडी खत्म।
पिछले हफ्ते एक वाट्सएप ग्रुप में फारवार्डेड मैसेज देखा, देश के टैक्सपेयर्स का पैसा सब्सिडी के नाम पर बांटा जा रहा है, जिससे मुफ्तखोरी बढ़ रही है। जेएनयू में दो साल पहले जब वहां के छात्र फीस वृद्धि के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे, तो पूरे देश के भाजपा समर्थक जेएनयू के खिलाफ पिल पड़े थे। वाट्सएप मैसेज की बाढ़ आई थी कि इनकी फीस इतनी कम क्यों रहे? टैक्स देनेवाले के पैसे की बर्बादी हो रही है। जेएनयू को टुकड़े-टुकड़े गैंग कहा गया। जेएनयू की फीस बढ़ा दी गई। अब मोदी सरकार ने उन्हें खुश होने का एक और मौका दिया है। रसोई गैस की सब्सिडी खत्म कर दी गई है।
रसोई गैस के सिलिंडर पर मिलनेवाली सब्सिडी खत्म करने की जानकारी पेट्रोलियम मंत्रालय की कमेटी ने दी है। लखनऊ की एक भर के मुताबिक दो साल पहले तक रसोई गैस के सिलिंडर पर 397 रुपए तक सब्सिडी मिल रही थी। इस साल जुलाई में यह घटकर 35.14 रुपए हो गई। मौजूदा समय में सब्सिडी और गैर सब्सिडी वाले सिलेंडर की कीमत बराबर हो गई है। एक उपभोक्ता के ट्वीट के जवाब में पेट्रोलियम मंत्रालय की ग्रीवांस रिड्रेसल प्लेटफॉर्म ने ट्वीट करके जवाब दिया-प्रिय ग्राहक,चूंकि मई, 2020 से सब्सिडी और गैर सब्सिडी वाले सिलिंडर की कीमत बराबर हो गई है, इसलिए किसी उपभोक्ता को सब्सिडी हस्तांतरित नहीं की जा रही है।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा-जनता के लिए सब्सिडी बंद है। सरकार की लूट चालू है।
-7 साल में पेट्रोलियम पदार्थों पर टैक्स से मोदी जी की सरकार 23 लाख करोड़ रु कमा चुकी है।
-7 सालों में रसोई गैस के दाम दुगने से ज्यादा हो गए।
-केवल 9 महीने के भीतर रसोई गैस पर 190 रु बढ़ा दिए।
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