बिहार सरकार जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने, वर्षा जल संचयन सुनिश्चित करने और हरित आवरण बढ़ाने के लिए शुरू किए गए महत्वाकांक्षी ‘जल-जीवन-हरियाली’ योजना पर अगले तीन साल में 24524 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आज सदन विधानसभा में वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 12457.61 करोड़ रुपये के द्वितीय अनुपूरक बजट से संबंधित बिहार विनियोग विधेयक 2019 पेश किया और कहा कि बिहार में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए राज्य सरकार ने हाल ही में जल-जीवन-हरियाली अभियान की शुरुआत की है। उन्होंने कहा कि जल संसाधन एवं भूमिगत जल स्तर का संरक्षण और पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त बनाना जल-जीवन- हरियाली अभियान की प्राथमिकताओं में शामिल है।
श्री मोदी ने कहा कि इस अभियान में 11 अवयवों को शामिल किया गया है। इनमें आहर, पईन, पोखर और कुओं को अतिक्रमण मुक्त एवं जीर्णोद्धार कराना, चापाकल के नजदीक सोख्ते का निर्माण, वर्षा जल संचयन के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग के माध्यम से वर्षा जल को भूमि के अंदर भेजा जाना शामिल है। उन्होंने बताया कि इस अभियान पर अगले तीन साल में 24524 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इनमें से चालू वित्त वर्ष 5870 करोड़ रुपये, वित्त वर्ष 2020-21 में 9874 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2021-2022 में 8780 करोड़ रुपये शामिल हैं।
उप मुख्यमंत्री ने बताया कि द्वितीय अनुपूरक बजट में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के लिए 647.41 करोड़ रुपये, राज्य में चिकित्सा महाविद्यालय खोलने के लिए 143.21 करोड़ रुपये, इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आईजीआईएमएस), पटना में मशीन एवं चिकित्सा उपकरण खरीदने के लिए 78.50 करोड़ रुपये, राज्य कैंसर संस्थान की स्थापना के लिए 52.89 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसके बाद सदन में वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 12457.61 करोड़ रुपये के द्वितीय अनुपूरक बजट से संबंधित बिहार विनियोग विधेयक 2019 को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
इससे पूर्व शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा ने वित्त वर्ष 2019-20 के द्वितीय अनुपूरक बजट में शिक्षा विभाग के लिए 1610.04 करोड़ रुपये के आवंटन की मांग पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि राज्य में गरीब विद्यार्थियों को उच्चतर शिक्षा हासिल करने के लिए अब तक 2407 करोड़ रुपये के ऋण स्वीकृत किए जाने के साथ ही 88278 स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड जारी किए जा चुके हैं।