इर्शादुल हक, संपादक, नौकरशाही डॉट कॉम

हर कार्यक्रम में महात्मा गांधी की बड़ी तस्वीर लगाने वाले जन सुराज ने गांधी के विचारों का मजाक बना दिया है। तिरहुत स्नातक क्षेत्र में कल होने वाले चुनाव से ठीक पहले पुलिस ने जनसुराज के तीन कार्यकर्ताओं को नोटों की गड्डी से भरे बैग के साथ गिरफ्तार कर लिया है. वोटरों को खरीदने की इस साजिश का आरोप सीधे प्रशांत किशोर पर लगा है.

हाल ही चार विधानसभा उपचुनाव में बुरी तरह मात खाने वाले प्रशांत किशोर बौखलाये हुए हैं. अन्य पार्टियों को जिताने के अहंकार से लबरेज पीके पांडेय उपचुनाव में धरती पर आ चुके हैं. ऐसे में किसी भी कीमत पर तिरहुत जीत कर अपनी खाक में मिली इज्जत को बचाने के लिए यह बंदा किसी भी स्तर पर जा सकता है, नोटों की गड्डी पकड़े जाने पर यह साफ हो चुका है.

याद करिये इन्हीं पीके पांडेय ने कहा था कि उनके प्रत्याशियों को चुनाव में एक पैसा खर्च नहीं करना है, सारा खर्च जनसुराज वहन करेगी. [17:34, 4/12/2024] Irshadul: भारत की भ्रष्ट पार्टियों की लिस्ट भले ही लम्बी हो, पर किसी पार्टी ने ऐलानिया कभी नहीं कहा कि वह अपने प्रत्याशियों के सारे खर्च उठायेगी. लेकिन जनसुराज जो महज दो महीने पहले बनी, उसके पास हजारों करोड़ खर्च करने का साहस कहां से आ रहा है.

स्नात्क क्षेत्र चुनाव में सिर्फ स्नातक पास ही वोटर होते हैं. ऐसे में गिनेचुने मतदाताओं की पहचान आसान है. पांडेय की रणनीति यह रही होगी कि दस बीस हजार मतदाताओं को खरीद कर जीत सुनिश्चित की जा सकती है.

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दो महीने आयु वाली जनसुराज दौलत के बूते राजनीति को नियंत्रित करने में जुटी है. चश्मे के बड़े फ्रेम से झांकती प्रशांत किशोर की आंखों में रणनीतिकार की चमक नहीं बल्कि एक ऐसे शातिर की महत्वकांक्षा है जो बिहार को भ्रष्टाचार के दलदल से निकालने के बजाये उसे नर्क बनाने पर तुली है.

अच्छा हुआ कि सीतामढी पुलिस ने पीके पांडेय के असली चेहरे को बेनकाब कर दिया.जनता देख ले, समझ ले.

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By Editor


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