जन सुराज के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज भारती ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे में विवादित बयान दिया है। मीडिया से बात करते हुए भारती ने कहा कि गांधी नशामुक्ति की बात करते थे, लेकिन उन्होंने कभी सरकार से शराबबंदी की मांग नहीं की। ऐसा कह के भारती ने गांधी की विचारधारा पर ही सवाल उठा दिया है।

जन सुराज के मनोज भारती ने कहा कि नशामुक्ति की बात करना और सरकार चलाना अलग-अलग बातें हैं। शराबबंदी से प्रदेश का आर्थिक नुकसान हो रहा है। भारती ने यह भी कहा कि महिलाएं कह रही हैं कि पहले उनका बेटा सौ रुपया मांगता था, अब चार सौ रुपए मांगता है। यानी शराबबंदी के बाद शराब महंगी हो गई है और बेटे को महंगी शराब छिप कर पीनी पड़ रही है। भारती ने यह भी बताया कि शराब पीने के कारण जो जेल में बंद हैं, उनके परिजन परेशान हैं।

जन सुराज अध्यक्ष ने गांधी की विचारधारा पर सवाल खड़ा कर दिया है कि गांधी जो बोलते थे, उसके लिए संकल्पित नहीं थे। वे शराब के खिलाफ थे, लेकिन शराबबंदी कानून की मांग नहीं की। यह कह कर गांधी को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की गई है।

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याद रहे प्रशांत किशोर ने कहा है कि उनकी सरकार बनते ही एक घंटे में शराबबंदी कानून को खत्म कर देंगे। हर साल 20 हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है। इस पैसे से वे बच्चों के स्कूल खोलेंगे। यानी शराब बेच कर पढ़ाई कराएंगे। प्रशांत किशोर भूल गए कि गांधी का जोर लक्ष्य से ज्यादा माध्यम पर था। उनका कहना था कि अच्छे लक्ष्य के लिए माध्यम भी अच्छा होना चाहिए। अगर तरीका गलत होगा, माध्यम गलत होगा, तो अच्छा लक्ष्य कभी हासिल नहीं किया जा सकता। लक्ष्य और माध्यम दोनों जुड़े हुए हैं। प्रशांत किशोर झंडे में गांधी की तस्वीर लगाते हैं, लेकिन गांधी को ही कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।

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By Editor


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